प्रेगनेंसी कैसे होती हैं? गर्भधारण शुरु से अंत तक कैसे होता हैं | प्रेगनेंट कैसे होते हैं

केवल संबंध बना लेने से गर्भधारण नहीं होता हैं। प्रेगनेट होने के लिए छोटे छोटे किन्तु बहुत अहम पहलू हैं जिनका ध्यना रखना होता हैं। चीजें अगर पहले से पता हो, तो सफलता (pregnancy) पाने के लिए ज्यादा कश्मकश नहीं करनी पड़ती हैं। यकिनन एक व्यस्क महीला और पुरुष दंपती गर्भधान के लिए तत्पर हो, मगर कुछ चीजों का पता न होना संतान प्राप्ति (गर्भधारण) से उन्हें वांछित रख सकता हैं।

प्रेग्नेंट होने (गर्भधारण) के लिए स्त्री और पुरुष का शारीरिक होना अनिवार्य है। इस समय महिला अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) में हो तथा पुरुष का वीर्य महिला योनि में स्खलित होना चाहिए, परन्त इसके अलावा भी गर्भधारण का होना या ना होना बहुत से चीजों पर निर्भर करता हैं तभी गर्भधारण (pregnancy) संभव हो पाता है।
हालांकि, अनेक प्रयासों के बावजूद अगर आपको असफलता नहीं मिल रही, तो आवश्यक हैं आप इसका कारण पता करें। प्रेगनेंट नहीं हो पाना भी आपको कुछ संकेत दे रहा होता है। चलिए इस लेख में हम आपको गर्भधारण का सही व आसान तरीका बताते हैं। और यह भी की प्रेगनेंट नहीं हो पाने के क्या कारण हो सकते हैं…?

यदि आप गर्भधारण के अन्य विकल्पों जैसे – आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी से गर्भधारण कैसे होगा? जानना चाहते हैं तो जान सकते हैं

Table of Contents

प्रेगनेंसी कैसे होती हैं | गर्भधारण कैसे होता हैं | Pregnant kaise hote hai 

Pregnant-kaise-hote-hai
एक महिला में गर्भधारण की शुरूआत अंडाशयों से शुरू होती हैं। ये दो छोटे अंडाकार अंग है जो गर्भाशय के दोनों तरफ जुड़े होते हैं। अंडाशय अंडाणुओं से भरे होते हैं। 
जब महिला अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) में होती हैं इन्हीं दोनों में किसी एक अंडाशय से एक परिपक्व अंडाणु निकलकर गर्भाशय की ओर चल पड़ता हैं, हालांकि, प्रेगनेंसी (गर्भधारण) होना तीन प्रमुख चीजों पर निर्भर है –
  1. अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) होना
  2. पुरुष शुक्राणुओं की मौजूदगी 
  3. शुक्राणु का अंडाणु में प्रवेश

  
↓↓जानें गर्भधारण के आवश्यक जननांग और उनके कार्य क्या हैं?

महिला के जननांगो के नाम और उनके कार्य

गर्भाशय (uters)

यह महिलाओं मे आंतरिक जननांग होता है जो नाभि और योनि के मध्य, शरीर के अंदर स्थित होता हैं, स्तनधारी जीवो में शिशुओं का विकास माता के गर्भ (गर्भाशय) में होता है।

अंडाणु (ovum) 

एक अंडाणु पूरे महिला शरीर में सबसे बड़ी कोशिका होती हैं जिसका आकार एक काली मिर्च के दाने जितना होता है अंडाणु ही शुक्राणु से मिलकर एक नए जीवन का निर्माण करता है

Overy (अंडाशय) 

अंडाणु जिस जगह बनते हैं उसे अंडाशय कहा जाता हैं अंडाशयो में अंडाणु उस समय से आ जाते है जब लड़की माता के गर्भ में विकसित हो रहीं होती हैं

फेलोपियन ट्यूब (falopian tube)

फेलोपियन ट्यूब (डिंबवाही नलिका) उस प्रजनन अंग को कहते हैं जो गर्भाशय और अंडाशय को जोड़ता है ये लगभग 10 से. मी. लंबा होता हैं शुक्राणु और अंडाणु का मिलन (fertilization) फेलोपियन ट्यूब में हि होता हैं

स्तन (Breast)

स्तनधारी जीवो में स्तन का मुख्य कार्य जन्म उपरांत शिशु को पोषित करना होता है शुरुआत में शिशु स्तनपान करके हि विकसित होता है।

योनि (vegina) 

यह महिलाओ में मुख्य जननांग होता है जो दोनों जंघाओं के मध्य स्थित रहता है योनि के रास्ते महिलाए यूरिन तथा प्रजनन करती है

ओव्यूलेशन और मासिक चक्र

वैसे ये कोई अंग नहीं मगर महिलाओं में होने वाली क्रियाएं हैं जो गर्भधारण के लिए बेहद ही आवश्यक होती हैं

पुरूष के जननांगो के नाम और उनके कार्य 

लिंग (penis) 

लिंग पुरुषो में मुख्य जननांग होता है यह दोनों जंघाओं के मध्य ऊपर स्थित होता है इनसे ही यूरिन और शुक्राणु अलग अलग रास्ते से आकर बाहर निकलते है।

टेस्टिस (testis) 

यह थैली के समान, लिंग के नीचे, शरीर से लटका होता है। इनके अंदर दो अंडे आकार टेस्टिकल्स मौजूद होते है जिनका मुख्य कार्य, पुरुषों में शुक्राणुओ निर्माण करना होता है

शुक्राणु (sperm) 

शुक्राणुओ का निर्माण टेस्टिकल्स में होता है जो वीर्यपात के समय लिंग से बाहर आते हैं, गर्भधारण के लिए हेल्दी स्पर्म काउंट और मोटिलिटी का होना आवश्यक हैं 

अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) होना

यह तो सभी जानते हैं, अंडाशय अंडाणुओं से भरे होते हैं जों लड़की के पैदा होने से पहले ही बन जाया करते है एक नन्ही बच्ची लगभग 10 से 20 लाख अंडो (डिंब) के साथ पैदा होती है
बहुत से डिंब जन्म के समय ही खत्म हो जाते हैं तथा बाकी बचें उम्र बढ़ने के साथ कम होते जाते है 10 से 14 वर्ष की आयु में जब लड़की के पीरियड शुरु होते है लगभग छः लाख अंडाणु जीवन सक्षम बचते हैं।
30 की आयु तक केवल 72000 अंडाणु हि जीवन सक्षम बचें होते हैं और ऐसा माना जाता है पहली माहवारी से रजोनिवृती (मेनोपॉज़) तक एक महिला 400 डिंब (अंडे) जारी कर चुकीं होती हैं
प्रतिएक मासिक चक्र (पीरियड) में अंडाशयों में अंडाणु परिपक्व होना शुरू होता हैं जब ओव्यूलेशन का दिन नजदीक आता हैं सबसे परिपक्व अंडाणु निकलकर पास के फैलोपियन ट्यूब (डिंबवाही नलिका) में आ जाता है ये लगभग 10 सें. मी. लंबी नलिका होती हैं जो गर्भाशय और अंडाशय को जोड़ती हैं
मासिक चक्र (पीरियड) में होने वाले हार्मोनल बदलाव ही महिला के मासिक धर्म की अवधि, अंडे की परिपक्वता और ओव्यूलेशन के समय को निर्धारित करते हैं

पुरुष शुक्राणुओं की मौजूदगी 

पुरुषों में शुक्राणु कोशिकाओं के खत्म होने से नए बनने में 10 सप्ताहों का समय लगता हैं एक औसत शुक्राणु का जीवन कुछ सप्ताहों का ही होता हैं तथा हर बार इजेकुलेशन में लगभग चार करोड़ शुक्राणु वीर्य के साथ बाहर आते हैं
यहां प्रतियेक शुक्राणु का एक ही उद्देश्य होता हैं ओव्यूलेशन से निकले अंडाणु से निषेचित होना, शुक्राणु और अंडाणु दोनों के मिलन से ही निषेचन (fertilization) होता हैं मगर फर्टीलाइजेशन होने के लिए शुक्राणुओं की संख्या (sperm count) और गतिशीलता (motility) का सही होना आवश्यक है 
सामान्यतः एक नार्मल स्पर्म काउंट 15 मिलियन प्रतिमिलीलीटर से 200 मिलियन प्रति इजेकुलेशन से निकलते है प्रेगनेंसी के लिए कम से कम 40 मिलियन शुक्राणु प्रतिमिलीलीटर होने चाहिए और स्पर्म मोटिलिटी रेट 25 माइक्रोमीटर प्रति सेकंड होना चाहिए
शुक्राणुओं का निर्माण टेस्टिकल्स में होता हैं ये तापमान के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं इसलिए शरीर के बाहर लटके होते हैं शुक्राणुओं के उत्पादन के लिए इनका तापमान 34°C होता हैं शारीरिक तापमान (37°C) से 3°C कम
इजेकुलेशन से पहले शुक्राणु ऊपर आकर वीर्य में मिल जाते हैं यहां करोड़ों की संख्या में शुक्राणु बाहर आने के बावजूद केवल एक शुक्राणु ही अंडे को निषेचित कर पाता है

शुक्राणु का अंडाणु में प्रवेश

जब गर्भधारण हो जाता है तब शरीर में प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन का स्त्राव भी बढ़ने लगता हैं। ये वहीं प्रेग्नेंसी हार्मोन है जो गर्भावस्था को बरकरार रखती हैं जब अंडाणु निकल कर फैलोपियन ट्यूब (डिंबवाही नलिका) में जाता हैं जारी होने के बाद ये लगभग 24 घंटे तक जीवित रहता है
इसी समयावधि में इसे किसी स्वस्थ शुक्राणु से निषेचित होने की आवश्यक्ता होती है ऐसा नहीं होने पर यह अंडाणु गर्भाशय तक पहुंचते – पहुंचते खत्म हो जाता है पर यह सब इतना आसान नहीं होता
संभोग के बाद लाखों की संख्या में शुक्राणु डिंब (अंडाणु) की तलाश में लग जाते हैं यहां सबसे पहली रुकावट ग्रीवा का श्लेम होता है जो सामान्य दिनों में अभेद रहता हैं मगर ओव्यूलेशन के दिनों में इसमें कुछ ढीलापन आता हैं जिससे ताकतवर और अच्छे तैराक शुक्राणु ही इसके पार जा सकें
अभी भी इनकी यात्रा खत्म नहीं होती, गर्भाशय के बाद अब इन्हें फैलोपियन ट्यूब (डिंबवाही नलिका) में तैर कर जाना होता है जो कि 18 से. मी. का रास्ता होता है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है शुक्राणु हर 15 मिनट में करीब 2.5 से. मी. की दूरी तय करते हैं मगर सबसे तेज शुक्राणु 45 मिनट में ही अंडाणु को ढूंढ सकता है
यदि शुक्राणु गलत फैलोपियन ट्यूब में गया हैं तो उसे अंडाणु नहीं मिलेगा, हालांकि, ये आपके शरीर में 5 से 7 दिनों तक जीवित रह सकता हैं मतलब इस समयावधि में अगर आप ओव्यूलेट करती हैं तब गर्भधारण हों सकता हैं
केवल एक शुक्राणु ही अंडाणु को निषेचित करता हैं ऐसा करने के लिए भी शुक्राणु को अन्य शुक्राणुओं से पहले बलपूर्वक और तेज गती से अंडाणु में प्रवेश करना होता हैं अन्यथा ये अंडाणु में दाखिल नहीं हो पाता
लाखों में एक बार, ऐसा भी होता है जब अंडाणु में एक की जगह एक से अधिक शुक्राणु प्रवेश कर जाते है इस अवस्था में जुड़वा बच्चों का जन्म होता है शुक्राणु के दाखिल होने के बाद अंडाणु का बाहरी आवरण ठोस होने लगता है जिससे अन्य शुक्राणु उसमें प्रवेश ना कर सके
निषेचन से अंडाणु और शुक्राणु के अनुवांशिक पदार्थ मिलते हैं जिससे एक नई कोशिका बनती हैं अब ये कोशिका अन्दर से विभाजित होते हुए गर्भाशय में स्थापित होने के लिए निकल पड़ता हैं जब ये खुद को गर्भाशय की दीवार से चिपका लेगा, तब महिला पूर्ण रूप से गर्भधारण (कंसीव) करती हैं
अब तक तो आप pregnant kaise hote hai जान गए होंगे, मगर बात यहीं खत्म नहीं होती, मतलब बहुत से ऐसे कारण है जो pregnant होने में अड़चने पैदा करती है जैसे महिला पुरुष में इनफर्टिलिटी होना, जिसे हम आगे जानेंगे, मगर पीरियड और ओव्यूलेशन भी गर्भधारण के लिए आवश्यक होती हैं

पीरियड के कितने दिन बाद गर्भ ठहरता है | ladki period me pregnant kaise hoti hai

पीरियड्स (menstrual cycle) की समयावधि सभी महिलाओं के लिए अलग हो सकती है सामान्यतः ये 28 से 32 दिनों के हुआ करते हैं एक महिला में मासिक चक्र होना इस बात का प्रमाण है वह गर्भाधारण करने में सक्षम है
मासिक चक्र में भी सबसे महत्त्वपूर्ण ओव्यूलेशन को माना जाता है जब महिला सबसे ज्यादा फर्टाइल (प्रजनन सक्षम) होती हैं इसे खुली खिड़की भी कहा जाता हैं क्युकी इसी समय अंडाशय सबसे परिपक्व अंडाणु रिलीज करता हैं
ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) के निश्चीत समय का पता लगाना कोई कठीन कार्य नहीं हैं सबसे आसान तरीका ओव्यूलेशन पता लगाने का बाजार में मिलने वाले किसी अच्छे ओव्यूलेशन किट का उपयोग करें, ये आपको लगभग सटीक परिणाम देते हैं
एक तरीका और जिससे ओव्यूलेशन कब हो रहा हैं पता कर सकते हैं महिला अपने एक पूर्ण मासिक चक्र दिनों में 14 दिन घटाएं, उदाहरण के लिए अगर महिला का मासिक चक्र 28 दिन का है तो (28 – 14 = 14वा दिन) इसका ये मतलब है महिला इन्हीं दिनों के आस पास ओव्यूलेट करने वाली हैं
ओव्यूलेशन मासिक चक्र के बीच में हुआ करते है ये 4 से 5 दिन का समय होता है ओव्यूलेशन से पहले शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं यहां आप ओव्यूलेशन के लक्षणों से भी इसके होने के निश्चित तिथि का अनुमान लगा सकते है
ओव्यूलेशन के लक्षण – 
  • श्लेमा पतला और साफ होना
  • सेक्स की अधिक इच्छा होना
  • निचले पेट में दर्द
  • थकावट महसूस होना
  • स्तनों में कसांव 
  • चिड़चिड़ापन
यदि ये लक्षण कोई महिला महसूस करती हैं तो उन्हें समझ जाना चाहिए वे अपने ओव्यूलेशन के बहुत नजदीक है गर्भधारण के लिए उन्हें इसी दौरान अधिक से अधिक संभोग करना चाहिए क्युकी ओव्यूलेशन में संबंध बनाने से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती हैं
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प्रेगनेंट कैसे होते है उसकी जानकारी | jaldi pregnant hone ke tips in hindi. Kaise hote hai pregnant 

गर्भ कब नहीं ठहरता हैं –
  • महिला या पुरूष में इनफर्टिलिटी होने पर
  • चिकित्सीय समस्या होने पर
  • सही समय पर संभोग न करने से
  • प्रेगनेंसी के लिए प्रयासरत न होना
यदि गर्भ नहीं ठहरने का कारण महिला अथवा पुरूष में कमी या कोई चिकित्सीय समस्या है इसमें उन्हे मेडिकल हेल्प लेने की जरूरत है क्युकी यह गर्भधारण नहीं होने का बहुत बड़ा कारण हो सकता है चलिए जानते हैं महिला तथा पुरूष में इनफर्टिलिटी उन्हें किस तरह प्रभावित करते हैं –

इनफर्टिलिटी इन मेल एंड फीमेल – infertility treatment in male and female

महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या

उम्र अधिक होना 
अधिक उम्र की महिलाओं को अक्सर कंसीव करने में दिक्कतो का सामना करना पड़ता हैं देखा गया हैं 35 से अधिक उम्र की महिलाओं को गर्भधारण के लिए अधिक प्रयास करने की जरुरत होती हैं
ओव्यूलेशन (अंडोत्सर्ग) न होना
प्रिमेनोपॉज़ के चलते भी महिलाओं में ओव्यूलेशन रुक जाते है ओव्यूलेशन का होना pregnancy के लिए आवश्यक हैं इसके बिना गर्भधारण संभव नहीं है ओव्यूलेशन न होने के अन्य कारण – PCO, वजन ज्यादा होना, थायराइड प्रॉबलम, ओवरी इंफेक्शन 
फैलोपियन ट्यूब का खुला न होना 
फैलोपियन ट्यूब प्रजनन तंत्र का ही एक अंग हैं संभोग के बाद शुक्राणु और अंडाणु का निषेचन फैलोपियन ट्यूब में ही होता हैं अगर किसी महिला के फैलोपियन ट्यूब में अवरोध (सिकुड़न) आ गया हैं इससे भी गर्भ नहीं ठहरता हैं, हालांकि, कैथराइजेशन शल्य चिकित्सा पद्धति द्वारा बंद फैलोपियन ट्यूब को आसानी से खोला जा सकता है
मेडिकल प्रॉब्लम 
आन्तरिक चोट, पुरानी सर्जरी या मेडिकल डिजीज का होना भी एक महिला के लिए गर्भधारण करने में अवरोध उत्पन्न करता है ऐसी अवस्था में उन्हे चिकित्सीय उपचार की जरूरत होती हैं
 
प्रयासरत न होना
अधिकांशत: कपल्स जो प्रेग्नेंसी प्लानिंग कर रहे होते हैं गर्भधारण करने में उन्हे समय लगता है लेकीन ऐसा करते उन्हें एक वर्ष हों चुका हैं फिर भी गर्भधारण नहीं हुआ है तो उन्हें मेडिकल हेल्प लेने की जरूरत हैं

पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या

हेल्दी स्पर्म ना होना
पुरुषों के शरीर में हरपल लाखों की संख्या में सूक्ष्म शुक्राणु कोशिकाओं का निर्माण होता हैं जिनका एक मात्र उद्देश्य होता है महिला अंडाणुओं से निषेचित होकर एक नए जीवन का निर्माण करना, मगर यदि पुरुषों में स्वस्थ शुक्राणुओं का निर्माण नहीं हो पा रहा है तो महिला साथी को pregnant होने में दिक्कतें आ सकतीं हैं
शुक्राणुओं की कमी
गर्भधारण के लिए नार्मल स्पर्म काउंट 40 मिलियन प्रतीमिलीलीटर और स्पर्म मोटिलिटी रेट 25 माइक्रोमीटर प्रति सेकंड होना चाहिए, अगर किसी पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता दोनों में ही असमानताएं है तो यह भी pregnant होने में समस्या खड़ी कर सकता हैं
इंफेक्शन
टेस्टिकलस में इंफेक्शन होना शुक्राणुओं के बनने को प्रभावित करता हैं इंफेक्शन बहुत से कारणों से आ सकते हैं जैसे टेस्टिकलस की हुई पुरानी सर्जरी, या कोई आंतरिक चोट ये सभी टेस्टिकलस की कार्य क्षमता को प्रभावित करते हैं जिससे स्वस्थ शुक्राणुओ का निर्माण नहीं हो पाता हैं 
हार्मोन प्रॉब्लम
पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन पुरुषों में प्रजनन अंगों के विकास से लेकर उनके उचित कार्य क्षमता के लिए महत्त्वपूर्ण है टेस्टोस्टेरोन या अन्य सम्बंधित हार्मोन का असामान्य रुप से स्त्राव होना पुरुषों के सेक्सुअल परफॉर्मेंस (प्रजनन क्षमता) को प्रभावित करता है जो गर्भधारण में कठिनाइयां उत्पन करती हैं

प्रेगनेंट कब और कैसे होता है | प्रेगनेंसी कब से काउंट होता है | pregnant kaise hote hain 

आपको लगता होगा संभोग के बाद आपका कार्य खत्म हो गया हैं, लेकिन असल में यही शुरूआत होती हैं। अभी आप गर्भवती नहीं हुई है इसमें अभी थोड़ा समय लगने वाला है! कितना? ये आप कुछ चीजों से पता लगा सकते हैं
जब वीर्य महिला की योनि में स्खलित होता है लाखों की संख्या में शुक्राणु अंडाणु की तलाश में जुट जाते हैं जिनका एक ही मकसद होता है अंडाणु की खोज कर उसमें प्रवेश पाना और एक नए जीवन की शुरूआत करना 
यहां दो बिलकुल भिन्न परिस्थितियां आती हैं जब शुक्राणु और अंडाणु का मिलन (फर्टीलाइजेशन या निषेचन) होता हैं 

जब अंडाणु पहले से डिंबवाही नलिका (फैलोपियन ट्यूब) में मौजूद हों

ये तब होता है जब महिला पहले से ओव्यूलेट कर चुकीं हों और अंडाणु अंडाशय से निकलकर डिंबवाही नलिका (फैलोपियन ट्यूब) में एक स्वस्थ्य शुक्राणु के आने का इंतेजार कर रहा है ओव्यूलेशन के बाद अंडाणु 24 घंटे तक शुक्राणु के आने का इंतेजार करता है
यदि ऐसा न हो, ओव्यूलेशन के 24 घंटे बाद तक कोई शुक्राणु नहीं आता हैं तब अंडाणु एक नए सफर की शुरूआत करता हैं अपने विघटित होने कि मतलब निषेचन न होने की अवस्था में अंडाणु नष्ट होने लगता है और गर्भाशय तक पहुंचते पहुंचते यह पूरी तरह नष्ट हो जाता हैं जिसके बाद पुन: एक नए मासिक चक्र की शुरुआत होती हैं
मगर यदि ओव्यूलेशन होने के 24 घंटे के अंतराल में शुक्राणु और अंडाणु का मिलन हो जाता है तब एक नई प्रक्रिया शुरू होती हैं अंडाणु खुद को “2 सेल स्टेज”, “4 सेल स्टेज”, “8 सेल स्टेज” में तोड़ता हुआ बहुत से कोशिकाओं में बटने लगता है और उछलते कूदते गर्भाशय की ओर जानें लगता हैं
गर्भाशय में पंहुचने पर ये खुद को गर्भाशय की दीवार से चिपकाने का प्रयास करता है जब ऐसा हो जाता हैं तब अंडाणु एक हार्मोन (hCG) का स्त्राव करने लगता हैं ये वहीं hCG हार्मोन है जिसकी मौजूदगी से महिला अपने गर्भवती होने की पहचान करती हैं

जब शुक्राणु तो डिंबवाही नलिका (फैलोपियन ट्यूब) में पहुंच गया हैं मगर अभी भी ओव्यूलेशन नहीं हुआ है 

ये तब होता हैं जब कपल्स ओव्यूलेशन (अंडाणु के निकलने) से पहले संबंध बना लेते है और शुक्राणु समय से पहले फैलोपियन ट्यूब में पहुंच जाता हैं
क्युकी ओव्यूलेशन होने में अभी समय है शुक्राणु अंडाणु के फैलोपियन ट्यूब में आने का इंतेजार करता है एक स्वस्थ शुक्राणु महिला के शरीर में 5 से 7 दिन जीवित रह सकता हैं मतलब इस बीच महिला कभी भी ओव्यूलेट करती हैं तो गर्भधारण हो सकता है
यहां शुक्राणु और अंडाणु को मिलने (फर्टीलाइजेशन निषेचन होने) में 30 मिनट से लेकर 4 – 5 दिन लग जाते है फर्टीलाइजेशन या निषेचन होने के बाद अंडाणु को गर्भाशय में स्थापित होना होता हैं जिसमें भी 5 से 6 दिनों का समय लगता हैं
एक महिला गर्भधारण (कंसीव) तभी करती है जब अंडाणु खुद को गर्भाशय में स्थापित कर लेता है इसे इंप्लांटेशन भी कहते हैं फर्टीलाइजेशन और इंप्लांटेशन के दिनों को मिलाकर पूरी तरह गर्भधारण करने में एक महिला को 6 से 14 दिन लग जाते हैं।
कोई स्त्री गर्भवती हैं या नहीं प्रेगनेंसी के लक्षणों से जाना जा सकता हैं…

लड़की प्रेग्नेंट होने के लक्षण | गर्भावस्था के लक्षण | girl pregnant hone ke lakshan

Common pregnancy symptoms in hindi:
  • मासिक चक्र रुकना
  • स्तनों में दर्द, झुनझुनी
  • पेट में ऐठन और दर्द
  • कब्ज
  • अत्याधिक थकान महसूस करना
  • विशेष खाने की इच्छा
  • स्वभाव में बदलाव
  • एब्डोमिनल और ओवरी पेन
  • पेशाब अधिक लगना
असुरक्षित यौन संबंध के बाद यदि महिला इस तरह के लक्षण महसूस करें तो उन्हें प्रेगनेंसी टेस्ट करके गर्भावस्था की जांच करनी चाहिए
सेक्स के बाद प्रेगनेंसी के लक्षण कब दिखते हैं? सामान्यत: प्रेगनेंसी के लक्षण असुरक्षित यौन संबंध बनाने के 2 से 3 सप्ताहों में ही दिखना प्रारंभ हो जाते है, हालांकि, शुरुआत में होने वाली ऐठन प्रीमेस्चुरल डिसकंफर्ट के समान रहता है इसलिए प्रेगनेंसी का सटीक परिणाम आपको प्रेगनेंसी टेस्ट से ही मिल सकता हैं

प्रेगनेंसी टेस्ट कैसे करते हैं – prega news use karne ka tarika 

वैसे तो आप प्रेगनेंसी किट कोई सा भी इस्तेमाल कर सकते हैं यहां हम आपको प्रेगा न्यूज किट से प्रेग्नेंसी टेस्ट के बारे में बताएंगे (जिसकी खासियत ये है यह निम्न से निम्न मात्रा में hCG हार्मोन पहचान कर पॉज़िटिव प्रेगन्नेसी कन्फर्म कर सकता हैं) 
प्रेगा न्यूज किट के अंदर आपको एक टेस्टिंग स्ट्राइप, एक ड्रॉपर, और सिलिका के कण मिल जाएंगे, प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए नीचे दिए स्टेप्स को फॉलो करें
Step 1 : सुबह उठने के बाद, पहली चीज, एक साफ बर्तन में यूरिन कलेक्ट करें
Step 2 : टेस्ट किट के साथ एक ड्रॉपर दिया जायेगा, उसमें यूरिन कलेक्ट करें 
Step 3 : ड्रॉपर की सहायता से यूरिन कि दो से तीन बूंदे टेस्ट किट में डाले 
Step 4 : ध्यान रखें, यूरिन की बूंदे इधर उधर ना गिराए, इस स्थिति में सिलिका के कणों से इसे साफ करें
Step 5 : 5 मिनट रुके, प्रेगा न्यूज़ प्रेगनेंसी टेस्ट किट आपको रिजल्ट दिखा देगा
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प्रेग्नेंट कैसे किया जाता हैं | How long does it takes to get pregnant in hindi. pregnant kaise hote hai girls

इसका सटीक जवाब ये होगा, एक महिला और पुरुष जब असुरक्षित रुप से यौन संबंध बनाते हैं पुरुष के वीर्य महिला योनि में स्खलित होकर जब अंडाणु से फर्टिलाइज (निषेचित) हो जाए और अंडाणु का इंप्लांटेशन गर्भाशय में होने से महिला प्रेगनेंट होती हैं
यहां ओव्यूलेशन, फर्टीलाइजेशन और इंप्लांटेशन सभी क्रियाओं का होना गर्भधारण करने के लिए महत्वपूर्ण होता है जिसमें समय भी लगता हैं
इसलिए यदि आपने प्रेगनेंट होने के लिए असुरक्षित यौन संबंध बनाया है तो गर्भधारण करने में 6 से 14 दिन का समय लग सकता हैं। अगर आप प्रेगनेंसी कन्फर्म करने में ज्यादा इंतेजार नहीं करना चाहतीं तो असुरक्षित यौन संबंध के 2 से 3 सप्ताह बाद होम प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते है
HINDIRAM के कुछ शब्द 
प्रेगनेंसी कैसे होती हैं या Pregnant kaise hote hai यह सिर्फ कुछ चीजों पर निर्भर नहीं करता, pregnant होने, प्रेगनेंसी के लिए बहुत सी चीजे महत्वपूर्ण होती है अब तक तो आपको प्रेगनेंट कैसे होते हैं उसकी जानकारी इस लेख को पढ़ कर समझ में आ गया होगा
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