आईवीएफ (टेस्ट ट्यूब) से गर्भधारण कैसे करें | कैसे IVF से गर्भधारण अधिक सफल बनाएं | Ivf treatment in hindi | test tube baby in hindi

इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (Ivf treatment) जटिल प्रक्रिया से भरी एक चिकित्सीय पद्धति है जिसका उपयोग गर्भधारण करने, इनफर्टिलिटी और जेनेटिक्स प्रॉब्लम दूर करने में किया जाता है IVF की एक पूरी प्रक्रिया पूर्ण होने में 3 सप्ताहों का समय लग जाता हैं

आईवीएफ के प्रोसीजर में अंडाशयों से अधिक से अधिक अंडाणु एकत्रित कर उन्हें लैब में शुक्राणुओं से फर्टिलाइज कराया जाता है जिसके पश्चात निषेचित हो चुके अंडाणुओ को गर्भधारण के लिए महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है (ivf process in hindi)

आईवीएफ ट्रीटमेंट (Ivf treatment) एक सटीक प्रजनन सहायक तकनीक है जहां दंपति खुद अपने अंडाणु और शुक्राणु से गर्भधारण पा सकते है या फिर किसी अन्य स्रोतों (डोनर) से भी अंडाणु और शुक्राणु ले सकते है महिला अगर गर्भधारण के लिए सक्षम नहीं है तो कोई अन्य स्त्री भ्रूण को धारण कर एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं

आईवीएफ ट्रीटमेंट की पूरी प्रक्रिया की सटीक जानकारी डॉक्टर आपको Ivf treatment से पहले ही समझा देंगे, आईवीएफ कैसे कार्य करता है(ivf process in hindi) क्या नुकसान हो सकते हैं और क्यों आपको Ivf treatment कराना चाहिए?

Table of Contents

आईवीएफ (ivf) क्या है? टेस्ट ट्यूब बेबी से प्रेगनेंसी कैसे होती हैं | Ivf treatment in hindi | ivf process in hindi

Ivf-treatment-in-hindi

इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक प्रजनन सहायक चिकित्सीय पद्धति है इनफर्टिलिटी और जेनेटिक्स समस्याओं के उपचार में आईवीएफ एक बेहतर विकल्प माना जाता हैं

आईवीएफ की प्रक्रिया इनवेसिव (चिर काट वाली) और लेस इनवेसिव भी होती हैं, हालांकि, कोशिश यहीं होनी चाहिए कम से कम चिर काट वाली विधी का उपयोग हों, जिसमें फर्टिलिटी ड्रग्स लेने और इंट्रायूटरिन इनसेमिनेशन जैसी प्रक्रिया शामिल हैं

कई बार इनफर्टिलिटी में एकमात्र विकल्प बचता है आईवीएफ, अधिकांशत: जिन महिलाओं की उम्र 40 से अधिक होती है। IVF का प्रयोग तब भी किया जा सकता है जब पार्टनर या आपकी हेल्थ कंडीशन ठीक ना हो जैसे –

फैलोपियन ट्यूब डैमेज और ब्लॉकेज

फैलोपियन ट्यूब (डिंब वाहिनी नलिका) में किसी तरह का डैमेज या ब्लॉकेज होना अंडाणु को फर्टिलाइज (निषेचित) होने तथा अंडाणु को गर्भाशय तक पहुंचने से पहले ही रोक देता है

ओवुलेशन डिसऑर्डर

अगर किसी महिला में ओवुलेशन अनिश्चित या गायब या बहुत कम अंडाणु ही प्रजनन सक्षम बचे हैं तब आईवीएफ से गर्भधारण एक बेहतर विकल्प होगा

एंडोमेट्रियोसिस

एंडोमेट्रियोसिस तब होता है जब गर्भाशय की दीवार में जमने वाली परत जैसी कोशिका गर्भाशय के बाहर बनने लगती है जो अंडाशय, गर्भाशय और फेलोपियन ट्यूब की कार्य क्षमता को प्रभावित करता है

यूटरिन फाइब्रॉयड्स

फाइब्रॉयड्स एक सौम्य ट्यूमर की तरह है जो गर्भाशय से निकलते हैं ये 30 से 40 की महिलाओं में कॉमन होते हैं फाइब्रॉयड निषेचित अंडाणु को गर्भाशय में स्थापित होने में अवरोध उत्पन्न करता है

नसबंदी

नसबंदी एक ऐसी गर्भनिरोधक पद्धति है जिसमें फैलोपियन ट्यूब को ही काट दिया अथवा बंद कर दिया जाता है, जिससे हमेशा के लिए प्रेगनेंसी को रोका जा सके अगर आप नसबंदी के बाद गर्भधारण की सोच रही हैं तो आईवीएफ एकमात्र विकल्प बचता है

इंपेयर्ड स्पर्म प्रोडक्शन और फंक्शन

सामान्य से कम शुक्राणु (स्पर्म कांट्रेक्शन) शुक्राणुओं की कम गतिशीलता (पुअर मोटिलिटी) तथा शुक्राणु के आकार प्रकार में असमानताओं का होना अंडाणु और शुक्राणु के निषेचित होने में अवरोध उत्पन्न कराता हैं अगर वीर्य में असमानताएं हैं तो इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से मिले

अज्ञात इनफर्टिलिटी

अज्ञात इनफर्टिलिटी होना मतलब है जांच के बावजूद भी इनफर्टिलिटी का कारण अज्ञात रहना, इस अवस्था में आईवीएफ एक बेहतर विकल्प है

जेनेटिक डिसऑर्डर

यदि महिला और पुरुष दंपति किसी जेनेटिक बीमारी के होने के आशंकित हैं “प्रिइंप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग” एक प्रक्रिया जिसमें आईवीएफ शामिल है उपयोग करना सुरक्षित गर्भधारण में मदद कर सकता हैं

यहां अंडाणु जब बाहर निकाल लिए जाते हैं उन्हें निषेचित कर उनमें किसी तरह के जेनेटिक प्रॉब्लम की जांच की जाती है, हालांकि, सभी तरह के जेनेटिक प्रॉब्लम पता नहीं किए जा सकते मगर जिन भ्रूणों में कोई जेनेटिक प्रॉब्लम नहीं मिलता, उन्हें माता के गर्भ में स्थापित कर दिया जाता हैं

फर्टिलिटी प्रीवेंशन फॉर कैंसर और अदर हेल्थ कंडीशन

कैंसर ट्रीटमेंट या कोई अन्य हेल्थ कंडीशन ट्रीटमेंट कराने में जिस तरह के रेडिएशन या चिमोथैरेपी उपयोग किया जाता हैं उससे भी फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचता है तथा आईवीएफ इनफर्टिलिटी बचाने का एक मात्र विकल्प बचता है

यहां अंडाशयों से अंडाणु बाहर निकाल उन्हें अनिषेचित रूप में रखा जाता है जिससे भविष्य में उनका उपयोग किया जा सके

जों महिला स्वयं के गर्भ में शिशु को पोषित करने में असमर्थ होती हैं या गर्भधारण से उन्हें किसी गंभीर नुक्सान का खतरा है आईवीएफ का चुनाव कर सकती है जिसमें कोई अन्य महिला उनके लिए शिशु को गर्भ में धारण करेंगी, यहां निषेचन के बाद अंडाणुओं को किसी अन्य महिला के गर्भ में स्थापित किया जाता है

आईवीएफ के खतरे | टेस्ट ट्यूब बेबी के नुकसान क्या है | Risk in IVF treatment process in hindi

आईवीएफ में निम्न प्रकार के खतरे आ सकते हैं –

मल्टीपल बर्थ 

आईवीएफ में मल्टीपल बर्थ होने की संभावना बहुत अधिक होती है क्युकी जब एक से अधिक भ्रूणों को माता के गर्भ में स्थापित किया जाता है तब एक से अधिक बच्चों वाली प्रेगनेंसी होने की संभावना बढ़ जाती हैं जिसके साथ अर्ली लेबर और शिशु के कम वजनी होने का खतरा भी रहता हैं मुकाबले उनके जो एक शिशु के साथ होते है

प्रीमेच्योर डिलीवरी होना

रिसर्च में यह सामने आया है आईवीएफ से गर्भधारण अर्ली लेबर और प्रीमेच्योर बेबी के जन्म लेने का खतरा अधिक होता है

ओवरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम

फर्टिलिटी दवाइयां (ड्रग्स) जिनका उपयोग ivf में किया जाता हैं जैसे – एचसीजी (human chorionic gonadotropin) जिससे ओवुलेशन लाया जा सके, इनका उपयोग अंडाशयों के अत्याधिक स्टिमुलेशन (ovarian hyperstimulation syndrome) का कारण बनते हैं जिससे अंडाशयों में सूजन और दर्द होने लगता है

इसके लक्षण कुछ सप्ताहों तक रह सकते हैं जिसमें पेट दर्द, ब्लाटिंग, मतली, उल्टी और डायरिया हो सकती हैं लेकिन यदि महिला गर्भवती हो गई है तो इसके लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं बहुत रेयर ही किसी गंभीर समस्या का कारण बनते हैं

मिसकैरेज

गर्भपात की संभावना उन महिलाओं में जिन्होंने आईवीएफ से गर्भधारण किया होता है नेचुरली गर्भधारण करने वाली महिलाओं के समांतर होता है लगभग 15 से 25% लेकिन गर्भावस्था बढ़ने से इसका अनुपात भी बढ़ जाता है

एक्टोपिक प्रेगनेंसी

लगभग 2 से 5% महिलाएं जो गर्भधारण के लिए आईवीएफ का प्रयोग करती हैं उन्हें एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है ऐसा तब होता हैं जब निषेचित अंडाणु गर्भ के बाहर खुद को स्थापित कर लेता है अधिकांशत: फैलोपियन ट्यूब में क्योंकि निषेचित अंडाणु गर्भाशय के बाहर जीवित नहीं रह सकता, जिससे प्रेगनेंसी आगे बढ़ने की कोई संभावना नहीं रहती

बर्थ डिफेक्ट्स

यहां गर्भवती की उम्र ही पहला रिस्क फैक्टर होता है किसी प्रकार के बर्थ डिफेक्ट्स आने का फिर चाहे महिला कैसे भी कंसीव कर लें, हालांकि, कई शोध इसपर अभी भी सवाल उठाते हैं की आईवीएफ से जन्मे शिशु बर्थ डिफेक्ट्स के लिए ज्यादा संवेदनशील होते हैं

स्ट्रेस

आईवीएफ की प्रक्रिया फाइनेंशली, फिजिकली और इमोशनली तनावपूर्ण होता है इसलिए आपको पूरे प्रक्रिया के दौरान किसी दोस्त या परिवारिक सदस्य की मदद की जरुरत पड़ेगी, जो आईवीएफ में आने वाले उतार-चढ़ाव में आपकी मदद कर सके

अंडाणु प्राप्ति में खतरे

एस्पायरेटिंग नीडल का प्रयोग अंडाणु प्राप्ति के लिए किया जाता हैं जिससे बॉवेल्स, ब्लैडर, अथवा ब्लड वेसल्स को डैमेज, ब्लीडिंग होने या इंफेक्शन का खतरा होता हैं साथ ही दूसरे खतरे जो बेहोशी और एनिस्थिसिया के प्रयोग से जुड़े होते हैं

आईवीएफ ट्रीटमेंट कैसे होगा | टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए कैसे तैयार हो | ivf process step by step in hindi

आईवीएफ का एक पूरा साइकिल शुरू होने से पहले पार्टनर और आपको बहुत सारे स्क्रीनिंग टेस्ट कराने की जरूरत होगी जैसे –

ओवरियन रिजर्व टेस्टिंग

अंडाणुओं की गुणवत्ता और उनकी मात्रा जांचने के लिए डॉक्टर (FHS) फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन के कॉन्ट्रैक्शन को देखेंगे, एस्ट्रोजन और एंटी मुलरियन हॉरमोन की जांच मेस्चूरल साइकिल के कुछ दिन बाद ब्लड टेस्ट से करेंगे, यहां अल्ट्रासाउंड से यह जानने का प्रयत्न किया जाएगा फर्टिलिटी ड्रग्स की प्रतिक्रिया क्या हो रहीं हैं

सीमेन एनालिसिस (वीर्य जांच)

अगर शुरुआती फर्टिलिटी जांच के दौरान इसे नहीं किया गया था तो डॉक्टर एक सीमेन एनालिसिस करेंगे, आईवीएफ प्रोसीजर शुरू होने से पहले

संक्रामक जीवाणुओं की जांच

आपके पार्टनर और दोनों में किसी भी प्रकार के संक्रमित रोगों के जीवाणुओं की जांच की जाएगी जैसे – एचआईवी

भ्रूण स्थापना जांच 

यहां डॉक्टर एक मौक एंब्रॉयड ट्रांसफर टेस्ट करेंगे, जिसमें महिला के गर्भाशय की गहराई का पता किया जाता हैं ताकि समय पर भ्रूण को सही से गर्भाशय में स्थापित किया जा सके

यूट्रिन एग्जाम

आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले डॉक्टर महिला के गर्भाशय की जांच करते हैं एक सोनोहिस्टोरोग्राफी किया जाता हैं जिसमें एक तरल पदार्थ सर्विस की सहायता से गर्भाशय डाला जाता है

अल्ट्रासाउंड की मदद से यूटरिन कैविटी की इमेज तैयार कि जाती हैं एक हिस्ट्रोस्कोपी किया जाएगा जिसमें एक पतली, लचीली, हल्की टेलिस्कोप को सर्विस के जरिए गर्भाशय में वेजाइना से डाला जाएगा

आईवीएफ प्रक्रिया शुरू होने से पहले आपको कुछ महत्वपूर्ण बातो का ध्यान रखना चाहिए – 

कितने भ्रूण स्थापित किए जाएंगे?

आमतौर पर कितने भ्रूण ट्रांसफर किए जाएंगे ये महिला की उम्र और कितने अंडाणु निकाले गए हैं निर्भर करता है क्योंकि उम्र अधिक होने पर महिलाओं में इमप्लांटेशन रेट भी कम हो जाती है इसलिए अधिक भ्रूण ट्रांसफर करने की जरूरत होती है

डॉक्टर यहां एक निश्चित गाइडलाइन को फॉलो करते हैं जिससे मल्टीपल प्रेगनेंसी से बचा जा सके क्योंकि बहुत से जगहों पर एक लिमिट में ही भ्रूण ट्रांसफर करने का कानून हैं इसलिए आप डॉक्टर से इस पर चर्चा करें

बचे हुए भ्रूणों के साथ क्या किया जाएगा?

आईवीएफ साइकिल के बाद जो भ्रूण बच जाते हैं उन्हें फ्रोजेन करके स्टोर किया जाता है ताकी भविष्य में उपयोग किया जा सके, हालांकि, सभी एंब्रॉयो जीवित नहीं बच पाते लेकिन कुछ बच जाते हैं

इन बचे हुए भ्रूणों को भविष्य में आईवीएफ की दूसरी साइकिल में उपयोग किया जा सकता हैं जिससे आईवीएफ कम खर्चीला और इनवेसिव होता है या इन्हें आप किसी दूसरे कपल्स को डोनेट भी कर सकते हैं अथवा इन्हें नष्ट करने को भी कह सकते हैं

मल्टीपल प्रेगनेंसी कैसे हैंडल किया जाएगा?

एक से अधिक भ्रूण महिला के गर्भ में स्थापित किए जाते है जिसके कारण आईवीएफ मल्टीपल प्रेगनेंसी का कारण बन सकता है मल्टीपल प्रेगनेंसी होना कई बार शिशु और माता दोनों के लिए जानलेवा सबित हो सकता हैं

कुछ केसों में तो फेटल रिडक्शन की जरूरत पड़ती है जिससे महिला कम बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य के साथ जन्म दे सकें, हालांकि, फेटल रिडक्शन करना भी एक गर्भवती के लिए बहुत गंभीर और संवेदनशील भरा हो सकता है

डोनर एग से आने वाले कॉम्प्लिकेशन को जाने!

एक ट्रेंड प्रोफेशनल सलाहकार जो इन चीजों में भलीभांति निपुर्ण हैं वह ही आपको डोनर एग से होने वाले किसी भी तरह के कॉम्प्लिकेशन की सटीक जानकारी दे सकते हैं जैसे कानूनी तौर पर डोनर बनना, यहां आपको एक लीगल कोर्ट पेपर की जरूरत होगी जिससे आप जन्म लेने वाले बच्चे के लीगल माता पिता बन सके

आईवीएफ ट्रीटमेंट से क्या उम्मीद करनी चाहिए | टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया कैसे होती हैं | Test tube baby in hindi

आईवीएफ प्रक्रिया के बहुत से अंग होते हैं जैसे –

  1. ओवेरियन स्टिमुलेशन
  2. अंडाणुओं की प्राप्ति
  3. शुक्राणुओं की प्राप्ति
  4. फर्टिलाइजेशन या निषेचन
  5. भ्रूण स्थापना (एम्ब्रॉय ट्रांसफर)

एक आईवीएफ साइकिल को पूर्ण होने में 2 से 3 सप्ताह का समय लग सकता है अथवा एक से अधिक आईवीएफ साईकिल की जरूरत भी पड़ सकती हैं।

ओवुलेशन इंडक्शन

आईवीएफ ट्रीटमेंट की शुरुआत सिंथेटिक हार्मोन लेने से शुरू होती है जिसमें ओवरी स्टिमुलेट करके अधिक से अधिक अंडाणु प्राप्त किए जाते हैं ना कि ओव्यूलेशन से आने वाले उस एक अंडाणु का इंतेजार करें, आईवीएफ प्रक्रिया में एक से अधिक अंडाणुओं की जरूरत होती है क्योंकि सभी अंडाणु निषेचित (फर्टिलाइज) नहीं होते और समांतर विकसित भी नहीं होते हैं

यहां डॉक्टर बहुत प्रकार की दवाइयां उपयोग करते हैं –

दवाइयां जिससे ओवरिन स्टिमुलेशन हो – medication for ovarian stimulation

ओवरी को स्टिम्युलेट करने के लिए डॉक्टर एक मेडिकेशन देंगे, जिसमें (FHS) फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन और (LH) लुलेनिंग हार्मोन अथवा दोनों का कॉन्बिनेशन उपयोग किया जाएगा, जों एक ही समय में एक से अधिक अंडाणु विकसित होने में मदद करते हैं।

दवाइयां जिससे अंडाणुओं का विकास हो – medication for oocyte maturation

जब फॉलिकल अंडाणु रिलीज के लिए तैयार हो रहे होते हैं लगभग 8 से 14 दिन बाद आप (hCG) human chorionic gonadotropin और दूसरे मेडिकेशन लेंगी जिससे अंडाणु मेच्योर हो सके

समय से पहले ओव्यूलेशन रोकने की दवाई – medication to prevent premature oviulation

ये मेडिकेशन शरीर को मदद करेंगी ताकि वह समय से पहले अंडाणु रिलीज ना करें

दवाइयां जिससे यूट्रस लाइनिंग बने 

अंडाणु प्राप्ति वाले दिन या भ्रूण ट्रांसफर के समय डॉक्टर आपको प्रोजेस्ट्रोन सप्लीमेंट लेने को रिकमेंड करेंगे जिससे यूट्रस की लाइनिंग बनने और इंप्लांटेशन के लिए तैयार हो सके

डॉक्टर अच्छे से जांच परख करने के बाद ही अपको कौन सी मेडिकेशन कब और कैसे लेनी है बताएंगे…

आमतौर पर महिला को एक से दो सप्ताह ओवरिन स्टिमुलेशन की जरूरत पड़ती है अंडाणु प्राप्ति से पहले यह पता लगाने की अंडाणु निकालने को तैयार हैं कुछ टेस्ट किये जाते हैं –

  • वेजाइनल अल्ट्रासाउंड या इमेजिंग एग्जाम: इससे ओवरी में फॉलिकल के डेवलपमेंट को मॉनिटर किया जाता हैं
  • ब्लड टेस्ट: ओवरिन स्टिमुलेशन मेडिकेशन से होने वाली प्रतिक्रियाओं को जांचने के लिए, ओवरी में फॉलिकल के विकास से एस्ट्रोजन बढ़ने लगता है वहीं प्रोजेस्टेरॉन ओव्यूलेशन तक कम रहता हैं

हो सकता है अचानक आईवीएफ साइकिल को बीच में ही रोकना पड़ जाएं, जिसकी कुछ वजहें – 

  • अपर्याप्त मात्रा में फॉलिकल डिवेलप होने लगें हो
  • समय से पहले ओवुलेशन होने वाला हो
  • बहुत अधिक फॉलिकल डिवेलप हो रहे हैं (ओवरिन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम)
  • कोई अन्य मेडिकल इशू

यदि आपके ivf साइकल में बदलाव किया जाएगा तो डॉक्टर आपको मेडिकेशन या उनकी डोज बदलने की सलाह भी देंगी, जिससे भविष्य में आईवीएफ में बेहतर रिस्पांस मिल सके, अथवा अपको डोनर एग लेने की सलाह भी देंगे

अंडाणुओं की प्राप्ति | Egg retrieval process for ivf in hindi

फाइनल इंजेक्शन या ओव्यूलेशन से पहले (34 से 36 घंटे) अंडाणु प्राप्ति की प्रक्रिया डॉक्टर के ऑफिस या क्लीनिक में किया जाएगा

  • अंडाणु प्राप्ति से पहले आपको बेहोश या पेन मेडिकेशन दे दिया जाएगा
  • ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाऊंड एस्पिरेशन अंडाणु प्राप्ति में उपयोग कि विधि है जिसमें एक अल्ट्रासाउंड प्रोब को वेजाइना के अंदर डाला जाता है जिससे फॉलिकल्स का पता किया जा सके, डॉक्टर अल्ट्रासाऊंड गाइड की मदद से एक पतली सुई को वेजाइना से फॉलिकल तक अंडाणुओं की प्राप्ति के लिए भेजेंगे
  • अगर ओवरी ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाऊंड से नहीं पता किया जा सका है तो एब्डॉमिनल अल्ट्रासाउंड के जरिए एक नीडल को गाइड किया जाएगा
  • नीडल की सहायता से फॉलिकल में अंडाणु को प्राप्त किया जाएगा, जिसमें एक सक्शन डिवाइस लगा होता है यहां 20 मिनट के अंतराल में अधिक से अधिक अंडाणु प्राप्त किए जाते है
  • अंडाणु प्राप्त किए जाने पर आपको क्रैंपिंग और प्रेशर महसूस होगा

मैच्योर एग्स को एक तरल में डुबोकर रखा जाता है अंडाणु जो स्वस्थ और मैच्योर होते हैं उन्हें शुक्राणुओं से फर्टिलाइज कराया जाता है जिससे एंब्रोय बन सके, हालांकि, सभी अंडाणु फर्टिलाइज नहीं हो पाते हैं।

शुक्राणुओं की प्राप्ति | sperm retrieval process for ivf in hindi

यदि महिला अपने साथी के शुक्राणुओं का उपयोग करती है तो उन्हें अंडाणु प्राप्ति वाली सुबह को सीमेन सैंपल देना होगा, आमतौरपर इसे हस्थमैथुन से ही प्राप्त किया जाता है। दूसरे मेथड जैसे टेस्टिकुलर एस्पिरेशन (सर्जिकल प्रोसीजर) जहां शुक्राणुओं को सीधे टेस्टिकल से प्राप्त किया जाता हैं अथवा डोनर स्पर्म का भी प्रयोग किया जाता हैं शुक्राणुओं को वीर्य से अलग लैब में किया जाता है।

फर्टिलाइजेशन या निषेचन | Fertilization for ivf treatment in hindi

IVF में फर्टिलाइजेशन के लिए 2 अलग अलग विधियों का उपयोग किया जाता है –

कन्वेंशनल इनसेमिनेशन – conventional insemination

कन्वेंशनल इनसेमिनेशन IVF में अधिकांशतः उपयोग की जाने वाली निषेचन प्रक्रिया हैं जहां हेल्दी स्पर्म और मैच्योर एग को “एक साथ” “एक रात के लिए” रख दिया जाता है जिसे शुक्राणु अंडाणु में प्रवेश कर सकें

इंटरासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI)

ICSI एक ऐसी फर्टीलाइजेशन की प्रक्रिया हैं जिसमें एक स्वस्थ शुक्राणु को सीधे अंडाणु में प्रवेश कराया जाता है ICSI का उपयोग तब किया जाता है जब शुक्राणुओं की गुणवत्ता और उनकी संख्या कम है या IVF साइकिल से फर्टिलाइजेशन फेल हो गया है

कुछ प्रोसीजर जो डॉक्टर आपको एम्ब्रॉय ट्रांसफर से पहले रिकमेंड कर सकते हैं –

एसिस्टेड हैचिंग – Assisted hatching

फर्टिलाइजेशन के बाद भ्रूण अपने आसपास की कोशिकाओं को खरोचने लगता हैं जिसे वह खुद को गर्भाशय की दीवार से चिपका सकें, यदि महिला की उम्र ज्यादा है या बहुत से आईवीएफ साईकिल फेल हुए हैं तो डॉक्टर आपको एसिस्टेड हैचिंग रिकमेंड करेंगें

ये एक ऐसी तकनीक है जहां एम्ब्रॉय ट्रांसफर से पहले एक छेद किया जाता है जिससे एम्ब्रॉय खुद को सफलतापूर्वक इंप्लांट कर सकें

प्रिइंप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग – preimplantation genetic testing

सबसे पहले एम्ब्रॉय को इनक्यूयेटर के अंदर विकसित होने दिया जाता है ताकि उनसे सैंपल लेके जेनेटिक डिफेक्ट का पता लगाया जा सके (आमतौर पर विकास के 5 से 6 दिन बाद), एम्ब्रॉय जिनमें किसी प्रकार के अफेक्टेड जींस या क्रोमोजोम नहीं होते हैं उन्हें गर्भाशय में स्थापित किया जाता है इस प्रक्रिया से जेनेटिक डिसऑर्डर होने की संभावना बहुत कम हो जाती हैं। हालांकि, प्रिइंप्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग से सभी तरह के जेनेटिक डिसऑर्डरस को पता नहीं लगता है

एम्ब्रॉय ट्रांसफर (भ्रूण स्थापना) | Embryo transfer in IVF hindi

एम्ब्रॉय ट्रांसफर आमतौर पर अंडाणु प्राप्ति के 2 से 5 दिन बाद किया जाता हैं प्रोसीजर के दौरान…

  • आप हल्की बेहोश या पेन मेडिकेशन दे दिया जाएगा, हालांकि, पूरा प्रोसीजर दर्द रहित हैं मगर आपको हल्की ऐठन महसूस हो सकती हैं
  • डॉक्टर एक लंबी, पतली, लचीली ट्यूब जिसे कैथेटर कहा जाता है उसे वेजाइना और सर्विस के जरिए गर्भाशय में प्रवेश कराएंगे
  • एक सीरिंज जिसमें एक या एक से अधिक अंडाणुओं को एक तरल पदार्थ के साथ कैथेटर के अंत में जोड़ दिया जाता है
  • इसी सीरिंज की सहायता से डॉक्टर एम्ब्रॉय और एम्ब्रॉयों को गर्भ में स्थापित करते हैं

अगर सबकुछ सफल रहा तो एम्ब्रॉय अंडाणु प्राप्ति के 6 से 10 दिन बाद गर्भाशय में स्थापित हो जाएगा

आईवीएफ प्रोसीजर के बाद | after ivf procedure in hindi

एम्ब्रॉय ट्रांसफर के कुछ दिन बाद ही आप अपने डेली रूटीन में आ सकती हैं, हालांकि, आपको कोई भी भारी-भरकम हरकत करने से बचना चाहिए, जिससे कोई भी डिस्कंफर्ट हो

सामान्य साइड इफेक्ट जों ivf के बाद होंगें –

  • कुछ मात्रा में योनि स्त्राव (साफ या खून के साथ)
  • एस्ट्रोजन बढ़ने से स्तनों में ढीलापन
  • ब्लोटिंग
  • हल्की ऐठन
  • कॉन्स्टिपेशन

एम्ब्रॉय ट्रांसफर के बाद अगर हल्का या तेज दर्द महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्युकी वही आपके परेशानी की वजह बता सकेंगे और उसका इलाज कर सकेंगे

आईवीएफ प्रक्रिया के परिणाम | भ्रूण स्थानांतरण के बाद सकारात्मक संकेत | ivf treatment ka successful hona

अंडाणु प्राप्ति के 12 दिन बाद डॉक्टर एक ब्लड टेस्ट करेंगे जिससे पता लगाया जा सकें महिला गर्भवती है या नहीं

  • यदि ivf से महिला गर्भवती हो जाती हैं तो डॉक्टर उन्हें देखभाल के लिए प्रेगनेंसी स्पेशलिस्ट के पास भेज देंगी
  • यदि महिला गर्भवती नहीं हुई तो आपको प्रोजेस्ट्रोन लेना बंद करना होगा, इसी बीच एक सप्ताह में आपका पीरियड भी आ जाएगा, अगर पीरियड नहीं आए या ब्लीडिंग हो तो डॉक्टर से संपर्क करें, यदि महिला आईवीएफ की दूसरी साइकल अपनाना चाहे तो डॉक्टर आपको आगे के स्टेप्स बताएंगे

आईवीएफ से एक स्वस्थ बच्चे का जन्म होना कुछ फैक्टर्स पर निर्भर करता है जैसे – 

गर्भवती की उम्र 

महिला जितनी जवान होती हैं आईवीएफ से गर्भधारण और एक हेल्दी बेबी को जन्म देने की संभावना उतनी बढ़ जाती है महिलाएं जिनकी उम्र 41 से अधिक है उन्हें डोनर एग लेने की सलाह दी जाती है जिससे सफलता जल्दी मिल सके

भ्रूण विकास

एम्ब्रॉय जो अच्छे से डिवेलप है वह गर्भधारण के लिए ज्यादा सक्षम होते हैं बदले उनके जिनमें विकास बहुत कम हुआ होता हैं, हालांकि, सभी एम्ब्रॉय विकास के बाद जीवित नहीं बच पाते हैं

गर्भधारण का इतिहास

महिलाएं जो पहले भी मां बन चुकी है उनके IVF से गर्भधारण की संभावना अधिक होती है बदले उनके जो कभी मां नहीं बनी, आईवीएफ में सफलता पाने वाली महिलाओं के लिए ivf से गर्भधारण की संभावना कम होती है

इनफर्टिलिटी का कारण

अंडाणुओं की नार्मल सप्लाई गर्भवती होने की संभावना बढ़ा देता हैं, जिन्हें एंडोमेट्रियोसिस हैं उन महिलाओं के गर्भवती होने की बहुत कम संभावना होती है

लाइफ़स्टाइल फैक्टर

महिलाएं जो स्मोकिंग करती हैं आपतौर पर उनसे प्रजनन सक्षम अंडाणुओं की बहुत कम प्राप्ति होती हैं गर्भपात भी बहुत जल्दी होता हैं स्मोकिंग करना आईवीएफ से गर्भधारण की संभावना को 50% कम कर देता हैं मोटापा भी गर्भधारण में अवरोध लाता है एल्कोहल, ड्रग्स और कुछ मेडिकेशन लेना भी हानिकारक होते हैं

इसलिए अपने डॉक्टर से बात करें…

Hindiram के कुछ शब्द

IVf treatment in hindi : आईवीएफ के जरिए एक स्वस्थ बच्चा होना बहुत से चीजों पर निर्भर करता है जैसे महिला की उम्र, इनफर्टिलिटी का कारण; इसके साथ ये महंगा, इनवेसिव और समय लगने वाला प्रोसीजर है। एक से अधिक भ्रूण गर्भ में स्थापित करने से मल्टीपल प्रेगनेंसी की संभावना बढ़ जाती है

IVF process in hindi : पूरी प्रक्रिया की सटीक जानकारी डॉक्टर आपको शुरुआत में ही समझा देंगे, कैसे IVF कार्य करता है? क्या नुकसान हो सकते हैं? क्या यह इनफर्टिलिटी के लिए बेहतर विकल्प हैं

आईवीएफ की एक प्रक्रिया पूर्ण होने में 3 सप्ताह का समय लग जाता है कई बार प्रक्रिया के कुछ अंगों को अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाता है जिसमें समय भी अधिक लग जाता है

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