गर्भावस्था 36वां सप्ताह – शिशु विकास, गर्भावस्था लक्षण और प्रेगनेंसी केयर टिप्स | 36 week pregnant in hindi

गर्भावस्था के 36वें सप्ताह में आपका स्वागत है 36 सप्ताह ही आपमें 9वें महीने की भी शुरूआत होती है। वैसे तो गर्भावस्था में 9 माह को ही महत्त्वपूर्ण दृष्टि से देखा जाता हैं मगर एक पूर्ण गर्भावस्था 10 माह तक चलती हैं अथवा इससे ज्यादा भी…
अब तो आप गर्भावस्था के 9वें माह में पहुंच गई है समय जैसे घड़ी से भी तेज चलने लगा है। आपका शिशु भी कभी भी बाहर आ सकता हैं इसलिए 36 सप्ताह से ही आपको शिशु के आने की तैयारी पहले से कर लेनी चाहिए। हो सके तो डिलीवरी के लिए पास के किसी नजदीकी हॉस्पिटल का ही चुनाव करें
शिशु जो जल्द ही आने वाला है वह बर्थ कैनाल के पास आ गया होता है। गर्भावस्था के आखिरी महीनों में आपके जॉइंट्स भी लचीले बन जाते हैं यह सभी मिलकर प्रसव के दौरान शिशु को बाहर आने में मदद ही करते हैं
असल में शिशु को बाहर आने में अभी कुछ सप्ताह और लग सकते है लेकिन शिशु जो 36 सप्ताह में ही जन्म लें लेते हैं पूरी तरह स्वस्थ होते हैं। मगर 36 सप्ताह में भी ये late preterm स्टेज में होते है यानी अभी भी कुछ संभावना हैल्थ इश्यू होने के
36 week of pregnancy मतलब – 9 माह गर्भावस्था
3rd trimester मतलब – गर्भावस्था तीसरी तिमाही
4 week’s to go मतलब – 4 सप्ताह बचें

Table of Contents

छत्तीस सप्ताह गर्भावस्था – शिशु का विकास, प्रेगनेंसी सिंप्टम्स और देखभाल से जुड़ी जरूरी बातें | 36 week pregnant in hindi

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Here’s quick summary
  • आपका शिशु पूरी तरह इंसानों जैसा दिखने लगा है – गोल मटोल पैर, गुलाबी त्वचा
  • शिशु में सुनने की क्षमता भी पूरी तरह विकसित हो गई हैं एक्सपर्ट्स के अनुसार शिशु जन्म के बाद आपकी आवाज भी पहचान सकता हैं
  • अगर आपकी ये पहली प्रेगनेंसी है तो शिशु अब तक पेल्विस पर आ गया होता हैं जिसे lightining या ड्रॉपिंग भी कहते हैं

छत्तीस सप्ताह गर्भावस्था में शिशु का विकास | Baby development by week 36 in hindi

36 सप्ताह में शिशु का आकार कितना हैं – baby size

कुछ देर के लिए अगर आप अपने सभी दर्द, प्रेगनेंसी के लक्षणों को साइड में रखें तो आप देख पाएंगी 36 सप्ताह में आपका शिशु 18 से 19 इंच लंबा और लगभग 6 पाउंड वजनी हो गया है।
हालांकि, विकास की क्रिया आने वाले सप्ताहों में अब धिमे होने वाली हैं। ऐसा होना भी शिशु को डिलीवरी के समय सर्विक्स के सकरे रास्ते से बाहर आने में मदद करता हैं। अभी एक अनुमान के अनुसार आपका शिशु एक पपीते के जितना बड़ा हो गया होता हैं।

शिशु का सिर और हड्डियां

36 सप्ताह में शिशु की हड्डियां अभी भी पूर्ण रूप से नहीं जुड़ी होती हैं। हालांकि, ऐसा नहीं होने के पिछे भी कारण है यही शिशु को जन्म के समय सर्विक्स से बाहर आने में मदद भी करता है
शिशु की हड्डियां पतली और लचीली हैं। यहां शिशु का सिर ही नहीं उसके सभी हड्डियां, कार्टिलेज पतले हैं, जो डिलीवरी के समय शिशु को बाहर की दुनिया में लाने में मदद करते हैं। चिंता ना करें! जन्म के बाद ये हड्डियां धिरे धिरे मजबूत बनने लगती हैं।

बेबी पोजीशन

छत्तीस सप्ताह में शिशु के हेड डाउन पोजिशन यानी (बर्थ पोजीशन) में आने की संभावना 93% होती है जो कि 37 सप्ताह आते तक बढ़कर 97% हो जायेगी, मतलब शिशु जन्म के लिए पूरी तरह तैयार हैं

बेबी का स्लीप साइकल

शिशु में सोने और जागने की क्रिया बहुत ज्यादा विकसित हो गई है। यानी शिशु अब एक निश्चित समय में सोने और जागने लगा हैं।


गर्भ के बाहर जीवन – Survival outside the womb

शिशु जिनका जन्म 36 सप्ताह के अंतर्गत होता है उन्हें “लेट प्रिटर्म” या “नियर टर्म” कहा जाता है। ये जन्म के लिए लगभग तैयार हो चुके होते हैं तथा जन्म के बाद किसी प्रकार के चिकित्सीय मदद की जरूरत नहीं होती, हां… थोड़ी देखभाल की आवश्यक्ता हो सकती है।
नियर टर्म में जन्में शिशु बहुत अच्छा करते हैं तथा इनका सर्वाइवल रेट भी 99% होता है।

छत्तीस सप्ताह में गर्भवती का शरीर | Your body at 36 week pregnant in hindi

बेबी का ड्रॉप होना – lightening

बेबी का ड्रॉप होना गर्भवती के लिए काफी आरामदायक अनुभव रहता हैं जब शिशु पेल्विस पर ड्रॉप हो जाता हैं इससे फेफड़ो को फैलने के लिए भरपूर जगह मिलने लगती हैं जिस वजह से फिर से आप लंबी व गहरी स्वांस ले पा रही होती हैं।

पेल्विस पेन

शरीर के लचीले बन जाने का एक प्रभाव यह भी होता है खुद को संभाल लेने के बावजूद आप पेल्विस पेन में लगातार बढ़ोतरी देख सकतीं हैं। शिशु जो पेल्विस पर होता है वह आपके पेल्विस पर प्रेशर डालने लगा होता हैं इसमें कोई शक नहीं आप दर्द भी महसूस कर रही होंगी।
यदि आप आराम करते समय हिप्स को थोड़ा ऊपर उठा कर रखें तो यह आपके लिए फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा गर्म स्नान, वार्म कंप्रेसर, प्रीनेटल मसाज करना भी आपको आराम पहुचायेगा।

प्रेगनेंसी में चलना

गर्भावस्था के आखिरी माह में आपका स्वागत है!! यह बहुत अच्छी बात है आपका शिशु पूरी तरह बन चुका हैं विकसित हो गया है। आपके शरीर ने भी अपना कार्य सही से किया है
36 सप्ताह में आप देख सकती हैं आपके चलने का तरीका बहुत बदल गया होता हैं “जैसे कि एक पेंग्विन चल रहा हो”, तीसरी तिमाही तक लगभग सभी माएं इस नए चाल – ढाल को अपना चुकीं होती हैं। आपकी ही तरह! यह भी आपके हार्मोनल बदलाव के कारण हो रहा होता हैं। जिसे (loosening और softening) कहा जाता हैं।
डियू डेट भी काफी नजदीक आ गया है शिशु जो अब बड़ा हो गया हैं जिसे सर्विक्स जैसे संकरे रास्ते से निकलना होता हैं इसलिए जरूरी है आपका शरीर फ्लेक्सिबल रहें। loosening और softening आपके शरीर का तरीका है जिससे वह शिशु को बाहर ला सकें (इतने छोटे रास्ते से भी)

छत्तीस सप्ताह गर्भावस्था के लक्षण | 36 week symptoms of pregnancy in hindi

शिशु की हरकतों में बदलाव

शिशु आकार में बड़ा होने की वजह से शायद अंदर उसके लिए जगह कम पड़ने लगी होती हैं! 36 सप्ताह गर्भावस्था में आप शिशु की हरकतों में बदलाव देख सकती हैं शिशु की लाते अब उसके लोट-पोट में बदल गयी होती हैं। आपको शिशु की हरकतों पर नजर रखना चाहिए।

हार्टबर्न और इनडाइजेशन

गर्भाशय का बढ़ना आंतो को भी प्रभावित करता है आपको लग सकता हैं आप बहुत कम खा रहीं हैं मगर फिर भी हार्टबर्न और इनडाइजेशन जैसी समस्या का शिकार हैं। वैसे गर्भावस्था के इस दौर में कम कम करके खाना बुरा नहीं हैं बल्कि ये आपको हार्टबर्न और इनडाइजेशन की समस्या से राहत पहुंचाता हैं।

ब्लोटिंग और गैस की समस्या

अगर खाने को आप बहुत जल्दी जल्दी चबाकर खाती हैं यह भी गैस जैसी समस्या का बहुत बड़ा कारण होता हैं। एक ही बार में बहुत सारा ना खाएं, कम कम करके और अच्छे से भोजन चबांकर ही खाएं। खाने को जल्दी-जल्दी निगलने से हवा भी पेट में चला जाता हैं जो ब्लोटिंग और गैस जैसी समस्या का कारण बनता हैं।

कब्ज की समस्या

कम खाना एक निश्चित अंतराल बाद आपकी इस समस्या का इलाज है। कम खाना पाचन तंत्र को भी आराम करने का समय देता है जिससे कब्ज जैसी समस्या नहीं होती

वेजाइनल डिसचार्ज

36 सप्ताह प्रेग्नेंसी में योनि से श्लेमा का बाहर आना संकेत हैं आपकी सर्विक्स डाईलेट हों रहीं हैं। डरे नहीं!! यह श्लेमा गुलाबी, लाल या भूरे रंग का भी हों सकता हैं क्युकी सर्विक्स डाईलेट होने के साथ पतला भी होने लगती है कई बार क्रैक पड़ने से हल्की ब्लीडिंग होती है जो श्लेमा के साथ बाहर निकल रहा होता हैं। एक शिशु के जन्म के लिए लगभग 10 सेंटीमीटर सर्विक्स का डाईलेट होना आवशयक होता है।

पेट पर खुजली

प्रेगनेंसी के आखरी महीनों में गर्भवती का पेट किसी फुटबॉल गेंद के आकार से भी ज्यादा बड़ा दिख रहा होता हैं मानो जैसे यह कभी भी फुट सकता हैं। मगर घबराएं नहीं ऐसा होगा नहीं!! हालांकि, गर्भाशय बढ़ने से त्वचा के नीचे की परत फटने लगती हैं यहीं स्ट्रेच मार्क्स और पेट पर होने वाली खुजली का बहुत बड़ा कारण है। इसलिए किसी अच्छे क्रीम से आपको इन्हें मॉइश्चराइज करना चाहिए।

इनसोम्निया

एक आराम भरी नींद ले पाना भी शायद अभी आपके लिए बहुत बड़ा काम होगा। क्युकी पूरी तरह थकी हुई होने के बावजूद शिशु की हरकतें और प्रेगनेंसी लक्षण अच्छी और आरामदायक नींद लेने से रोक देते हैं। आरामदायक नींद के लिए जो हो सके करें, अधिक गर्मी महसूस करने पर खिड़कियां खोल दे

नेस्टिंग इंस्टिंकट

नेस्टिंग इंस्टिंकट महसूस होना एक नेचुरल प्रतिक्रिया है इसे वे गर्भवतियां महसूस करती है जो बहुत जल्द शिशु को जन्म देने वाली होती हैं। इसमें गर्भवती ऐसा महसूस करती हैं जैसे शिशु के आने से पहले उन्हें बहुत कुछ करना है। यहां वे खुद में एक एनर्जी बूस्ट महसूस कर रही होती हैं जो संकेत हैं शिशु बहुत जल्द आने वाला हैं

छत्तीस सप्ताह गर्भावस्था में पेट निकलना | Pregnant belly at 36 week in hindi

36 सप्ताह के बाद अपनी प्रेगनेंट बैली में आप ज्यादा बदलाव होते नहीं देखेंगी। वैसे भी आप 25 से 35 पाउंड तक वजन गेन कर गई होती है तथा इस सप्ताह से आपको ज्यादा वजन बढ़ाने की जरूरत नहीं
वहीं यदि आप 36 सप्ताह जुड़वा बच्चों से गर्भवती हैं तो आपने लगभग 35 से 45 पाउंड तक वजन गेन कर लिया होगा। आपका गर्भाशय भी आकार में बहुत बड़ा हो गया है। जुड़वा बच्चों से गर्भवती माएं अधिकतर 36 से 37 सप्ताह में ही शिशु को डिलीवर कर देती है।
मगर याद रखिए, शिशु जितना अधिक समय गर्भ में बिताएगा बाहर उसे उतने हि कम चिकित्सीय देखरेख की जरूरत होगी। इसलिए भले आप थोड़ा असुविधा महसूस कर रही हो मगर यह समय भी शिशु के लिए आवश्यक है

छत्तीस सप्ताह गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड | Ultrasound in 36 week of pregnancy in hindi

36 सप्ताह प्रेगनेंसी तक शिशु के लीवर और किडनियां एक समान्य रुप से कार्य करने लगीं होती हैं। इम्यून सिस्टम और संचालन प्रणाली भी अपना कार्य बेखूबी निभा रहें होते हैं। अब तो शिशु खुद से लेने स्वांस को तैयार है 36 सप्ताह तक शिशु की त्वचा भी बहुत सॉफ्ट हों गई होती है।
इस सप्ताह होने वाले प्रीनेटल अपॉइंटमेंट में डॉक्टर आपके शिशु की पोजीशन जाचेंगे। क्युकी छत्तीस सप्ताह तक लगभग सभी शिशु बर्थ पोजीशन में चुके होते हैं। लेकिन अगर आपका शिशु बर्थ पोजीशन में नहीं आया है तो घबराएं नहीं, हों सकता हैं आपका शिशु ब्रीच बेबी हो!!, हालांकि, अभी भी संभावनाए है जन्म से पहले शिशु बर्थ पोजीशन में आ जाए।
36 सप्ताह में आपका GROUP B STREP टेस्ट हो सकता है यह एक तरह का टेस्ट हैं जिसमें वैजाइना और रेक्टम एरिया में बैक्टीरिया जिसे GROUP B STREP कहते हैं जांचा जाता है। क्योंकि जन्म के बाद ये UTI जैसे संक्रमण तथा शिशु संपर्क में आने से उसके लिए जानलेवा साबित हो सकता हैं। लगभग 10 से 30% गर्भवती महिलाएं GROUP B STREP के लिए पॉजिटिव पाई जाती हैं ट्रीटमेंट के लिए आपको डिलीवरी से पहले एंटीबायोटिक दिया जाएगा, जिससे इस बैक्टीरिया के संक्रमण को कम किया जा सके
अगर 36 सप्ताह आप जुड़वा बच्चों से गर्भवती है या कोई हाई रिस्क कंडीशन जैसे ब्लड प्रेशर या किडनी डिजीज से पीड़ित है तो आपका बायोफिजिकल प्रोफाइल टेस्ट हो सकता हैं ये अल्ट्रासाऊंड और नॉन स्ट्रेस टेस्ट का कॉन्बिनेशन होता है जिसमें डॉक्टर शिशु को अच्छी तरह से जांचते समझते हैं
गर्भावस्था में याद रखने वाली चीजें – 36 week pregnant checklist
  • खुद को आराम देने के लिए ब्रेक लेते रहें
  • प्रसव के संकेतों पर नजर रखें
  • किगल और पाइरेनल एक्सरसाइज करते रहें
  • अपने पार्टनर को लेबर के संकेतों के विषय में जानकारी देते रहें

गर्भावस्था छत्तीस सप्ताह में केयर टिप्स | Self care tips 36 week pregnant in hindi

शिशु की हरकतों में बदलाव देखें

घबराएं नहीं!! अगर आपका शिशु आजकल कम लातें मार रहा है तो, शायद आप उसकी हरकतों में बदलाव देख रहीं होंगी जैसे – उसकी लातें अब लोटने – पोटने में बदल गयी होती हैं। क्युकी जैसे जैसे शिशु बड़ा होते जाता है अंदर उसके लिए जगह भी कम पड़ने लगती हैं जिस कारण उसकी हरकतें भी बदल रही होती हैं।
लेकिन अगर आप शिशु की हरकतों में अनिश्चित बदलाव देखे तो तुरंत अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी दें।

प्रसव के संकेतो को जानें

अगर आप प्रसव के संकेतो को लेकर चिंतित हैं बेहतर यहीं होगा इसे अपने डॉक्टर से चर्चा करें, यहीं आपके लिए बेहतर होगा।
प्रि लेबर के लक्षण कुछ घंटों से कुछ दिनों तक या सप्ताहों या महीनों तक रहते हैं तथा इसके संकेत सभी गर्भवतियों के लिए भिन्न होते हैं।

प्रसव के स्तर

प्रसव को तीन स्तरो में विभाजित किया जाता हैं – अर्ली, एक्टिव और ट्रांजिशनल
पहला स्टेज अधिकांशतः लंबा ही होता है इसमें ज्यादा दर्द भी नहीं होता होता है यह कुछ घंटों, सप्ताहों तक रह सकता है
दूसरा स्टेज और एक्टिव लेबर, प्रसव के इस स्टेज के दौरान आप हॉस्पिटल या बर्थ सेंटर में आ चुकीं होती हैं जहां कांट्रेक्शन आपको 40 से 60 सेकंड तक हो रहें होते है।
तीसरा स्टेज जो आखिरी होता है ट्रांजिशनल लेबर ये बहुत तीव्र और दर्द भरा होता है तथा सबसे कम समय के लिए होता है 15 मिनट से 1 घंटे तक जिसमें शिशु का जन्म होता है।

श्लेमा के बाहर आने के लिए तैयार रहें

म्यूकस प्लग, ये एक गाढ़ा पीले रंग का डिस्चार्ज होता है जिसके साथ हल्का ब्लड भी आ सकता है। ये लेबर शुरु होने से दिनों या सप्ताहों पहले होतें है
यदि म्यूकस प्लग बाहर आ गया है तो इसमें चिंता की बात नहीं, क्युकी बहुत बार ये ड्यू डेट से पहले ही बाहर आ जाते हैं। हालांकि, इसके बाहर आने के भी लेबर शुरू होने में अभी भी कुछ सप्ताह हो सकते हैं।
म्यूकस प्लग बाहर आने के बावजूद आपका शिशु पूरी तरह सुरक्षित होता है। क्युकी शरीर लगातार सर्वाइकल म्यूकस बना रहा होता है जिससे किसी भी प्रकार के संक्रमण को रोका जा सकें। यानी शिशु पूरी तरह सुरक्षित है।

अधिक से अधिक B6 विटामीन ले

प्रोटीन कि उपयुक्त मात्रा के लिए Pyridoxine जरूर लें, ये एक तरह का विटामिन है जिसे B6 विटामिन कहा जाता है इसका कार्य हैं ये आपके और शिशु के शरीर में कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है।
B6 शिशु में दिमाग और नर्वस सिस्टम के डेवलपमेंट में भी मदद करता है। आपको B6 विटामिन खाद्य पदार्थ जैसे – केला, एवोकाडो, गेहूं, ब्राउन राइस, सोयाबीन, पालक और टमाटर जैसी चीजों से मिल जाएगा

छत्तीस सप्ताह के लिए प्रेगनेंसी डाइट

यदि आप वेजीटेरियन है तो आपको जरूरी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, विटामिन बी12, कैल्शियम, विटामिन डी, डीएचए, आयरन और फोलेट की उचित मात्रा लेना आवश्यक हैं
  • प्रोटीन युक्त भोजन खाए – जैसे नाइट्स, मूंगफली, दाल
  • यदि आप दूध नहीं पीना चाहती, तो आप दही का सेवन करें
  • हरी सब्जियां खाये, रेशेदार फल और सब्जियां जरूर सेवन करे

FAQ. प्रेगनेंसी में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर

क्या प्रेगनेंसी में सेक्स कर सकते हैं?
जी हां…, प्रेगनेंसी में संभोग करना पूरी तरह सुरक्षित हैं व इससे शिशु को कोई नुक्सान नहीं होता है, बल्कि शिशु को इन सबका कुछ पता ही नहीं होता
प्रेगनेंसी में कौन सी गलतियां ना करें?
प्रेगनेंसी में नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रहें, ऐसे कार्यों को न करें जिसमें अत्याधिक शारीरिक कसरत की जरूरत हो
प्रेगनेंसी में क्या करना चाहिए?
एक प्रेगनेंसी बहुत से उतार चढ़ावो से भरा होता है इसलिए आपको एक हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाने की जरूरत है, अपने पार्टनर, परिवारजनों और दोस्तों के साथ समय व्यतीत करें
Hindiram के कुछ शब्द
36 week of pregnancy in hindi : प्रेगनेंसी का ये सप्ताह गर्भवती और शिशु दोनों के लिए अनेकों बदलाव लेकर आता है लेकिन अभी सबसे जरूरी होगा आप खुद का और शिशु का ख्याल रखें, हेल्दी डाइट ले, और अधिक से अधिक पानी पिए, यदि आपको किसी प्रकार की शंशा हैं तो अपने निरीक्षक से परामर्श कर सकते हैं
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