[TOP 7] स्लीपिंग पिल्स के नाम एंड प्राइस | neend ki tablet name and price in hindi

एक अच्छी, गहरी नींद लेकर ही अगली सुबह हम तरोताजा महसूस करते हैं। गहरी नींद स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है, यह थकावट दिनचर्या वाले जीवन में आराम पाने का एक मात्र रास्ता हैं। मगर बिस्तर पर लेटने के बावजूद नींद न आए तो आप क्या करेंगे?

आधी रात बीतने के बावजूद नींद नहीं आ रही है ऐसे में नींद की टेबलेट खाने जैसे तरीके जल्दी सोने के लिए आसान लगने लगता हैं, ये दवाइयां (नींद की टेबलेट) नींद की बीमारियों को दूर करने के लिए ही बनाई गई हैं

मगर इनका चुनाव तभी करें जब आप पूर्ण रूप से आश्वाशित हैं नींद की टेबलेट ही आपके स्लीप डिसऑर्डर का ईलाज है। देखा जाए तो बहुत से स्लीप डिसऑर्डर कुछ निश्चित कारणों से आए होते हैं जिन्हें समान्य जीवनशैली और दिनचर्या में बदलाव से ठीक कर सकते हैं।

इसका मतलब ये नहीं, नींद की टेबलेट कार्य नहीं करती हैं आइए इस लेख में नींद की टेबलेट कैसे कार्य करती हैं? नींद की टेबलेट के नाम और प्राइस, नींद की टेबलेट कब कैसे लेना है सब कुछ जानते हैं

लेख में बहुत आवश्यक जानकारियां सम्मिलित हैं इसलिए लेख पूरा पढ़े

Table of Contents

नींद की टेबलेट नाम और प्राइस | neend ki tablet and price

Tablet namePrice
Zolpidem
Zolpidem 10 mg
Melatonin
Alprazolam
Zopiclone
Alprax
Etrizest
Restlyl
Nexito

नींद की टेबलेट कैसे कार्य करती हैं | how does sleep medicine work

नींद की टैबलेट विभिन्न प्रकार के होते हैं जिन्हें इनके सेडेटिव, हिप्नोटिक गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। समान्यत: यह टेबलेट मस्तिष्क के रिसेप्टर्स पर प्रभावी है व तंत्रिका तंत्र को धीमा बनाती है। कुछ दवाइयों का उपयोग नींद लाने के लिए किया जाता है तो वह कुछ लंबे समय तक सोए रहने के लिए उपयोग किया जाता है।

कुछ हमारे शरीर में समान्य से अधिक समय रहते हैं तो कुछ लत लगने वाले होते हैं –

जोल्पाइडम (Zolpidem) –

जोल्पाइडम एक नॉन बेंजोडाजोपाइन मेडिसीन है जिसे इंसोमिया जैसे स्लीपिंग डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट में उपयोग किया जाता है। जोल्पाइडम टेबलेट में हिप्नोटिक, सेडेटिव और एंटी कन्विलसंट गुण होते हैं। यह मस्तिष्क में GABA रिसेप्टर क्लोराइड चैनल मैक्रोमोलीक्यूलर कंपलेक्स को जोड़ता है जो मस्तिष्क में तांत्रिकों की गतिविधि कम कर देता है जो नींद लाने में मदद करता है

  • इस दवा का प्रभाव 30 से 45 मिनट में शुरू हो जाता हैं।
  • सोने के लिए 6 से 7 घंटे का समय होने पर इस दवा को इस्तेमाल कर सकते हैं
  • इस टेबलेट को खाने से जल्दी और देर तक सोने में मदद मिलती हैं।
  • जोल्पाइडम टेबलेट खाली पेट ले, क्योंकि अत्याधिक वसा युक्त भोजन इसके अवशोषण और प्रभाव को कम कर देता है।

जोल्पाइडम टर्ट्रेट (Zolpidem tartrate)

जोल्पाइडम टारट्रेट 10mg एक नींद की टेबलेट हैं यह अनिद्रा में अल्पकाल उपचार में उपयोगी है। यह अनिद्रा से पीड़ितो में हार्मोन असंतुलन पर कार्य करता है जो अनिद्रा से पीड़ित हैं तथा नींद लाने में सहायता करता है।

  • दवा का प्रभाव कितनी देर रहता है? इस दवा का प्रभाव 7 से 8 घंटे की अवधि के लिए रहता है
  • इसका असर कब शुरू होता है? इस दवा का असर टेबलेट खाने के 1.6 घंटे में देखा जा सकता है।

मेलाटोनिन (Melatonin)

मेलाटोनिन मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से उत्पादित हार्मोन है। मेलाटोनिन को मुख्य रूप से नींद संबंधी विकार (अनिद्रा) और सर्कैडियन रिदम की गड़बड़ी के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।

  • इस दवा का असर 30 से 60 मिनट में देखा जा सकता है।
  • इस दवा का प्रभाव औसतन 4 से 6 घंटे तक रहता है

अल्प्राजोलम (Alprazolam)

अल्प्राजोलम उन लोगो के लिए प्रभावी दवा है जो गहरे अवसाद के परिणाम स्वरुप आतंकित विचार और चिंता विकार से पीड़ित है। अल्प्राजोलम मस्तिष्क में हार्मोन इमबैलेंस को संतुलित करता है तथा रोगी को शांत बनाता हैं इसे अनिद्रा से पीड़ित जो मानसिक विकार के कारण सो नहीं पाते उनको भी लाभ मिलता हैं

अल्प्राजोलम टेबलेट बेंजोडाजोपाइन दवाओं के समूह का हिस्सा है यह दवा मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को शांत करने का काम करता हैं इस दवा को मौखिक रूप से लिया जाता हैं

  • दवा का प्रभाव 44 घंटे से 52 घंटे तक रहता है
  • दवा खाने के 1 से 2 घंटों में इसका प्रभाव देखा जा सकता है

जोपिकोन (Zopicone)

जोपिकोन लेने के तुरंत बाद ही कार्य करने लगता हैं लगभग 1 घंटे में यह अपना प्रभाव दिखाने लगता है। इस टैबलेट का उपयोग नींद आने के समय को बहुत कम कर देता हैं जिससे नींद बहुत जल्दी आती है।

यह नींद के समय को बढ़ाता है रात में बार-बार उठने की समस्या दूर करता हैं। जोपिकोन टेबलेट लेने से पहले ध्यान रखें कि आपके पास सोने के लिए लगभग 7 से 8 घंटे का समय हो जिससे इसके साइड इफेक्ट से बचा जा सकें

अल्प्रैक्स (Alprax)

अल्प्रैक्स 0.25mg टेबलेट दवाओं के उस समूह का हिस्सा है जिसे बेंजोडाजोपाइन के नाम से जाना जाता है। यह दवा मस्तिष्क और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को शांत करता है और पैनिक अटैक को रोकता है।

  • इस टैबलेट को खाने के 1 से 2 घंटे में इसका प्रभाव देखा जा सकता है।
  • दवा का प्रभाव लगभग 24 घंटे तक रहता है

ईट्रीजीस्ट (Etrizest)

ईट्रीजीस्ट (0.5/0.25)mg टेबलेट एक प्रिसक्रिप्शन मेडिसिन है। जिसे शॉर्ट टर्म एंजाइटी और इनसोमिया के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। यह मस्तिष्क के कुछ खास रिसेप्टर्स पर कार्य करके दिमाग को शांत बनाता हैं।

  • इस दवा का प्रभाव मेडिसिन लेने के 30 से 60 मिनट के अंतराल में देखा जा सकता है
  • इस दवा का प्रभाव शरीर में कितने समय तक रहता है अभी तक पता नहीं चला

रेस्टलिल (Restlyl)

रेस्टलिल 0.25 एमजी टेबलेट का उपयोग एंजाइटी और पैनिक डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट के लिए उपयोग किया जाता है सोने में दिक्कत होने पर भी इसका उपयोग किया जाता है

  • इसका प्रभाव दवाई खाने के 40 से 60 मिनट में शुरू हो जाता हैं।
  • यह दवा 5 से 6 घंटे तक प्रभावी हैं

नेक्सिटो फोर्ट (Nexito forte)

नेक्सिटो फोर्ट टेबलेट को डिप्रेशन व अन्य मेडिकल हेल्थ कंडीशन जैसे एंजायटी, पैनिक डिसऑर्डर, स्लीप डिसआर्डर के ट्रीटमेंट में उपयोग किया जाता हैं ये एक तरह का एंटी डिप्रेसेंट मेडिसिन है

  • इस दवा का प्रभाव लेने के 4 घंटे में शुरू हो जाता हैं 
  • यह दवा 3 से 4 दिन तक प्रभावी हैं।

क्या नींद की टेबलेट और स्लीप मेडिकेशन हमारे लिए सही है | neend ki tablet and price

सोमनोलॉजिस्ट (स्लीप एक्सपर्ट) नींद की बीमारियों को जड़ से मिटाने के लिए नींद की टेबलेट की तुलना में लाइफस्टाइल और स्लीप हैबिट में बदलाव करने के सलाह देते हैं। चूंकि नींद की गोलियों की लत लग सकती हैं इसलिए चिकित्सक के निर्देश अनुसार उपयोग करें…

नींद की टेबलेट खाने के फायदे हैं और नुकसान भी, इसलिए आवश्यक है इसके लाभ और खतरों को ध्यान में रखे। नींद की टैबलेट ज्यादा कारगर साबित होती है जब थोड़े समय के लिए इनका उपयोग करना है लगभग 5 – 7 दिन

नींद की टेबलेट लेना नींद की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद करता हैं। मगर गंभीर स्लीप डिसऑर्डर (नींद ना आने की बीमारी) में नींद की टेबलेट चिकित्सक के निर्देश व अनियमित रूप से ही उपयोग करें

सबसे खराब स्थिति में आप इन दवाइयों के आदी बन जाएंगे जो नशे से कम नहीं है तथा बिना इनके उपयोग के नींद आना या सो पाना भी मुश्किल लगने लगता है

नींद की टेबलेट लेने से पहले कुछ टिप्स

यदि कोई व्यक्ति नींद की टेबलेट खाने के विषय में सोच रहा हैं तो उसे कुछ सेफ्टी गाइडलाइन का जरूर ध्यान रखना चाहिए…

  • कभी भी नींद की गोलियों को शराब या दूसरे नशीली दवाइयों के साथ ना मिलाएं। शराब न केवल नींद की गुणवत्ता को खराब करता है बल्कि नींद की गोली के असर को बहुत बढ़ा देता है इनका मिश्रण हानिकारक व जानलेवा भी हो सकता है।
  • नींद की टेबलेट का उपयोग तभी करें जब आपके पास नींद लेने के लिए 7 से 8 घंटे का समय हो नहीं तो अगले दिन आप बहुत नींद और थकान महसूस करेंगे।
  • रात में उठकर कभी भी इसकी दूसरी खुराक ना खाएं, यह बहुत खतरनाक हो सकता है। अगर आप नींद की टेबलेट की खुराक को दोगुना कर देते हैं इससे आपके शरीर को पर्याप्त समय ही नहीं मिलता पहले मेडिसिन के प्रभाव को समाप्त करने का, जिसके कारण अगली सुबह उठना मुश्किल हो सकता है।
  • शुरुआत हमेशा सबसे कम रिकमेंड डोज (खुराक) से करें, देखें यह मेडिसिन किस तरह प्रभाव दे रही हैं तथा क्या साइड इफेक्ट महसूस करते हैं
  • नियमित उपयोग से बचें – दवाई पर पूरी तरह निर्भरता और इसके दुष्प्रभाव कम करने के लिए नींद की टेबलेट को केवल इमरजेंसी के लिए उपयोग करें ना कि रोजाना उपयोग करने के लिए
  • नींद की टेबलेट खाने के बाद कार या हैवी मशीनरी ना चलाएं, यह अधिक आवश्यक तब हैं जब आप कोई नई नींद की टेबलेट लेते हैं क्योंकि आपको भी नहीं पता दवाएं कैसे कार्य करने वाली हैं।

दवाई खाने से पहले

बेहतर यही होगा कि आप अपने चिकित्सक से विचार-विमर्श करने के बाद नींद की टैबलेट खाएं

अन्य मेडिकेशन और सप्लीमेंट जिसे आप लेते हैं

कुछ समान्य एंटीडिप्रेसेंट और एंटीबायोटिक मेडिकेशन दोनों नींद की गोलियों के साथ बहुत खतरनाक प्रतिक्रिया दे सकते हैं। प्रिस्क्रिप्शन और ओवर-द-काउंटर नींद की टेबलेट के साथ हर्बल या दूसरे प्रिस्क्रिप्शन मेडिकेशन जैसे – पेनरिलीवर, एलर्जी मेडिसिन भी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

अन्य मेडिकल कंडीशन जो आपको हैं

नींद की टेबलेट आपके पुराने मेडिकल कंडीशन के साथ गंभीर साइड इफेक्ट दे सकते हैं जैसे – हाई ब्लड प्रेशर, लिवर प्रॉब्लम्स, ग्लूकोमा, डिप्रेशन और स्वांस संबंधी रोग होने पर

निर्देशित खुराक बढ़ाने/ घटाने या उपयोग में बदलाव लाने से पहले

यह जरूरी है कि आप इसके उपयोग के निर्देश को सही से पालन करें, टेबलेट की खुराक बढ़ाना खतरनाक हो सकता है। वहीं इसका उपयोग कम कर देना भी समस्या दे सकता है। बहुत जल्दी-जल्दी उपयोग करने अथवा अचानक से मेडिकेशन की खुराक बंद करने से भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं। यह इनसोमिया के अधिक बढ़ने का कारण बन सकता है।

नींद न आने के कारण | neend nahi aane ke kya karan hote hai

हम सभी अपने जीवन काल में कभी ना कभी अनिद्रा (सोने में कठिनाइ) का सामना करते हैं। यह केवल कुछ समय के लिए हुआ होगा। जो जल्दी समान्य भी हो जाता हैं।

यह जाचने के लिए नींद न आने का कारण कोई स्लीप डिसऑर्डर है खुद से यह सवाल पूछे…

  • क्या आप दिन में चिड़चिड़े और नींद महसूस करते हैं
  • शांत बैठने, टीवी, पढ़ते समय जगे रहने में दिक्कत आती है
  • गाड़ी चलाते समय थकान या सोने लगते हैं
  • एकाग्र रहने में कठिनाइयां आती है
  • दूसरे आपको बताते हैं कि आप बहुत थके हुए हैं
  • भावनाओं को नियंत्रण रखने में कठिनाई होती हैं
  • हर समय झबकी लेने की जरूरत महसूस करते हैं
  • खुद को जगाए रखने के लिए चाय या कॉफी का सेवन करते है

उपरोक्त लक्षण नियमित तौर पर महसूस करते हैं तो आप स्लीप डिसऑर्डर का सामना कर रहे हैं

वैसे नींद ना आने के कई कारण होते हैं जैसे – गलत खान – पान, जीवनशैली, अधिक तनाव, सोने की खराब आदत, अधिक मोबाइल, कंप्यूटर या टीवी स्क्रीन देखना, डिहाइड्रेशन, धूम्रपान करना, बहुत ज्यादा चाय कॉफी सेवन करना या किसी दवाई का उपयोग का असर भी हो सकता है

सामान्य स्लीप डिसऑर्डर के प्रकार | types of common sleep disorders

इनसोम्निया (insomnia)

इनसोम्निया एक ऐसी अवस्था है जहां मरीज सोने अथवा रात को नींद लेने में असमर्थ हो जाता है। इनसोम्निया भारी स्ट्रेस, हेल्थ कंडीशन, दवाइयों के उपयोग और चाय कॉफी जैसे पदार्थों के कारण भी होता है। यह अन्य स्लीप डिसऑर्डर व मूड डिसऑर्डर के कारण भी होता हैं जैसे – एंजायटी, डिप्रैशन

बहुत से इनसोम्निया के लिए कंडीशन सोने की आदत में सकारात्मक बदलाव, उचित दिनचर्या, खुद को रिलैक्स रखकर बहुत से इनसोम्निया में की अवस्थाएं ठीक हो जाती है, बिना डॉक्टर, दवाइयों पर निर्भर हुए

स्लीप एपनिया (sleep apnea)

स्लीप एपनिया एक समान्य व ठीक किए जाने वाला स्लीप डिसऑर्डर है इसमें सोते समय स्वांस कुछ समय के लिए बंद हो जाती है जो नींद में अड़चन लाता है तथा आप बार-बार नींद से जाग उठते हैं

यदि आपको स्लीप एपनिया है तो बार-बार उठने के बारे में आपको शायद ज्यादा पता नहीं चलेगा, मगर आप पूरे दिन थका – थका महसूस करेंगे। चिड़चिड़ा, डिप्रेस्ड, यह प्रोडक्टिविटी को भी कम कर देता हैं। स्लीप एपनिया एक बहुत गंभीर और जानलेवा स्लीप डिसऑर्डर है इसलिए अपने डॉक्टर (चिकित्सक) को तुरंत दिखाएं जिससे आप खुद की मदद कर सकें

रिस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless legs syndrome)

रिस्टलेस लेग सिंड्रोम एक स्लीप डिसऑर्डर है जहां पैरों हाथों को हिलाने की तीव्र इच्छा होती है। यह तब होता है जब आप आराम कर रहे होते हैं, या लेटे होते हैं। यह अधिकतर सुविधाजनक, झुनझुनी के साथ, दर्द, क्रेपिंग सेंसेशन के साथ होता है।

बहुत से तरीके हैं जिससे आप इन लक्षणों को मैनेज और इनसे आराम पा सकते हैं जैसे – self-help रेमेडी जो आप घर पर उपयोग कर सकते हैं।

नारकोलेप्सी (Narcolepsy)

नारकोलेप्सी एक स्लीप डिसऑर्डर है जिसमें बहुत तीव्र और अनियंत्रित नींद आती है अधिकतर दिन में, यह हमारे मस्तिष्क के एक डिस्फंक्शन के कारण होता है। जो हमारे सोने और जागने को नियंत्रित करती है

अगर आप नारकोलेप्सी से पीड़ित है तो आपको स्लिप अटैक आते होंगे – जब आप किसी से बात कर रहें होते हैं, गाड़ी चलाते समय, हालांकि, अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन कुछ ट्रीटमेंट के तरीकों का उपयोग करके इसके लक्षणों को कंट्रोल कर सकते हैं जिससे आप बहुत से समान्य एक्टिविटीज को एंजॉय कर सकेंगे

सर्कैडियन रिदम स्लीप डिसऑर्डर

हम सभी का अपना आंतरिक बायोलॉजिकल दिन चक्र (सर्कैडियन रिदम) है जो 24 घंटे हमारे सोने और जागने को नियंत्रित करती हैं। इसे सर्कैडियन रिदम भी कहते हैं। प्रकाश ही प्रमुख रूप से हमारे सर्कैडियन रिदम को प्रभावित करता हैं।

रात में जब प्रकाश नहीं होता है तो शरीर मेलाटोनिन हार्मोन ट्रिगर करता हैं जो हमें नींद लाने में मदद करती हैं। सुबह जब सूरज उगता है मस्तिष्क शरीर को जागने के लिए प्रेरित करता है

जब सर्कैडियन रिदम में गड़बड़ी होती है तब हमें सोने में दिक्कत या गलत समय में नींद आने लगती है। सर्कैडियन रिदम ही बहुत से स्लीप डिसऑर्डर और स्लीप प्रॉबलम से जुड़ा होता है।

नींद की टेबलेट के नुकसान

नींद की सभी टेबलेट के नुकसान (साइड इफेक्ट) होते हैं जो निर्भर करता है – प्रतियेक नींद की टेबलेट पर, टेबलेट की खुराक तथा कितने समय तक दवा का असर हमारे सिस्टम पर है

कुछ सामान्य साइड इफेक्ट जैसे – अगले दिन लंबे समय तक थका थका और नींद लगना, सिर दर्द, मसल्स में दर्द, कब्ज, मुंह सूखना, एकाग्र रहने में दिक्कत, चक्कर आना, खुद को संभालने में असमर्थ होना, इनसोम्निया का बढ़ना

नींद की गोलियों के दूसरे नुकसान

ड्रग टॉलरेंस

समय बीतने के साथ आप पाएंगे नींद की टेबलेट कार्य करने के लिए आपको ज्यादा खुराक लेना पड़ रहा होता हैं। यह बहुत खतरनाक अवस्था हैं

दवाइयों की आदत पड़ना

ऐसा हो सकता है अब सोने के लिए आपको हमेशा नींद की टेबलेट पर निर्भर होना पड़ रहा होगा। तथा बिना इनके आप सोने में असमर्थ है अथवा बहुत मुश्किल से सो पाते हैं। नींद की टेबलेट की बहुत जल्दी लत लगती है जिससे लत छुड़ाना बहुत कठीन होता है।

विड्रॉल सिम्पटम्स

अगर इन मेडिटेशन को आप अचानक से छोड़ने का प्रयास करते हैं तो आपको विड्रोल सिंप्टोम्स जैसे – जी मिचलाना, बहुत ज्यादा पसीना आना, कांपना आदि महसूस होंगें

दवाइयों के साथ प्रतिक्रिया

यह नींद की गोलियां अन्य दवाइयों के साथ प्रतिक्रिया कर सकती है जो कई बार इनके साइड इफेक्ट्स को बहुत बढ़ा सकता है और कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है। खासकर प्रिस्क्रिप्शन पेन किलर और दूसरे सेडेटिव के साथ उपयोग करने पर

इनसोम्निया का वापस आना

अगर कभी आपको नींद की टैबलेट को छोड़ना पड़ जाए तो कई बार यह इनसोम्निया के पहले की तुलना में बहुत ज्यादा खतरनाक बना देता हैं।

पुरानी हेल्थ कंडीशन

यह कोई पुरानी मेडिकल या मानसिक बीमारी या कोई स्लीप प्रॉबलम हो सकती है जो इनसोम्निया का कारण बन रही है जो नींद की टेबलेट से भी ठीक नहीं हो रहा है।

नींद की टेबलेट के कुछ गंभीर खतरे

दिमाग को शांत करने वाले कुछ मेडिकेशन बहुत ज्यादा एलर्जीक रिएक्शन, सूजन, याददाश्त मिटने, आत्महत्या के विचार और कंपलेक्स स्लीप रिलेटेड बिहेवियर जैसे – स्लिपवाकिंग, फ्लिप ड्राइविंग, स्लिप ईटिंग का कारण बन सकता है। इसलिए यदि आप ऐसी कोई भी अवांछित स्लिप रिलेटेड बेहवियर महसूस करें तो अपने डॉक्टर से तुरंत मिले

ओवर द काउंटर स्लीप मेडिसिन

मुख्यत: ओवर द काउंटर स्लीप मेडिसिन में एंथिस्टामाइन मुख्य इनग्रेडिएंट के रूप में होता है जो नींद लाने में मदद करता है। ओवर द काउंटर स्लीप मेडिसिन में होते हैं

  • Diphenhydramine
  • Doxylamine

कुछ अन्य ओवर द काउंटर स्लीप मेडिसिन (नींद की टेबलेट) में एंथिस्टामाइन के साथ अन्य पेन रिलीवर acetaminophen होते हैं

एंथिस्टामाइन की समस्या यह है कि इसके दिमाग को शांत करने वाले गुण अगले दिन तक भी चलते हैं जिससे अगले दिन भी हैंगओवर के लक्षण महसूस होते हैं। लंबी अवधि में उपयोग से इससे याददाश भूलने, सिरदर्द हो सकते हैं। इन समस्याओं को देखते हुए स्लिप एक्सपर्ट्स इसके नियमित उपयोग से परहेज की सलाह देता है

नींद की टेबलेट के सामान्य साइड

  • हल्का या बहुत ज्यादा नींद अगले दिन भी महसूस करना
  • चक्कर, भूलने की समस्या
  • क्लम्सिनेस
  • कब्ज और यूरिनरी प्रॉब्लम
  • धुंधला दिखना
  • मुंह सूखना
  • मतली

अच्छी नींद लेने के लिए अच्छी आदत अपनाएं

रिसर्च यह साबित करते हैं लाइफस्टाइल और नींद की आदतों में बदलाव लाना इनसोम्निया को हराने का बेस्ट तरीका है। फिर चाहे आप कुछ समय के लिए स्लीपिंग पिल्स खाने को क्यों ना सोचे… एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि अपनी जीवनशैली और रात्रि के सोने की आदतों में बदलाव नींद की बीमारियों का बेस्ट इलाज है।

स्वभाव और वातावरण में बदलाव भी नींद पर सकारात्मक असर देता हैं नींद की टेबलेट की तुलना में यह बिना किसी नुकसान के खतरे और लत लगने से बचा सकते हैं

रिलैक्सेशन तकनीक नींद की टेबलेट बदले

रिलैक्सेशन तकनीक जो स्ट्रेस से आराम पहुंचाएं और अच्छी नींद दे, समान्य ध्यनाभ्यास, प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन, योगा, थाई ची, और डीप ब्रीदिंग अभ्यास से सोने के बाद शांती का अनुभव करेंगे। जो नींद में भी सुधार लाएगा।

रिलैक्सेशन टाइम रूटीन

बिस्तर पर जाने से 1 घंटे पहले मोबाइल, टीवी बंद कर दें। हल्का शांति देने वाले एक्टिविटी करें जैसे – पढ़ना, सरल योग आसन, हल्के शांत और धीमे संगीत सुनना, तथा कमरे की लाइट बहुत धीमा कर देना मेलाटोनिन को प्राकृतिक रूप से बढ़ा देता है।

एब्डोमिनल ब्रीदिंग

हममें से लगभग बहुत लोग उतनी गहराई से कभी सांस नहीं लेते जितनी हमें लेनी चाहिए। जब हम लंबी और गहराई से श्वास लेने लगते हैं जिसमें ना सिर्फ हमारे फेफड़े सम्मिलित होते हैं बल्कि पेट, लोअर बैक और पूरे सीना यह हमारे तंत्रिका तंत्र के उस हिस्से पर सकारात्मक प्रभाव देता है जो रिलैक्सेशन (शांति) के लिए जरूरी है

इसलिए अपनी आंखें बंद करें और धीमा और गहराई से सांस लेने का प्रयास करें, प्रयास करें हर सांस पहली की तुलना में अधिक गहरी और शांति दायक हो

प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन

प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन बहुत सरल रिलैक्सेशन तकनीक हैं सुविधाजनक आसन में बैठ जाएं या लेट जाएं। पैरों की शुरुआत करें – पैरों को मसल्स में कसाव लाए और 10 तक गिने और ढीला छोड़ दें इसे शरीर के सभी अंगों के साथ दोहराएं, नीचे से ऊपर

कसरत करना नींद का अच्छा उपाय

अनेक शोध बताते हैं दिन में कसरत करना है रात में अच्छी नींद पाने में मदद करता है। जब हम कसरत करते हैं तब हमारे शारीरिक तापमान में बहुत तेजी से चढ़ाव आता हैं तथा कुछ घंटों में बहुत तेजी से गिरावट आती है यह तापमान में गिरावट हमें जल्दी सोने और अच्छी नींद पाने में मदद करती है। सबसे बेस्ट समय कसरत करने का दोपहर के बाद, सुबह का समय, शाम के समय है कोशिश करें 30 मिनट तक जरूर नियमित कसरत करें

एरोबिक एक्सरसाइज इनसोम्निया से लड़ने का बेस्ट तरीका हो सकता है क्योंकि यह शरीर में पहुंचने वाले ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा देता है

कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी

बहुत से लोग शिकायत करते हैं की बुरे विचार उन्हें बहुत परेशान और थका देते हैं और चिंताओं की वजह से वे रात को सो भी नहीं पाते हैं। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी एक साइकोथेरेपी का प्रकार है जो हमारे विचार, भावनाओं का बदलने में मदद करती है

हावर्ड मेडिकल स्कूल के एक शोध के अनुसार कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT) क्रॉनिक इनसोम्निया को ठीक करने का सबसे बेस्ट तरीका है। नींद की गोलियों की तुलना में, इसमें किसी प्रकार के साइड इफेक्ट का भी खतरा नहीं होता है

कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT) हमारे मस्तिष्क को शांत बनाती है हमारे आंतरिक दृष्टिकोण में बदलाव लाती है दिनचर्या में बदलाव करती है और अच्छी नींद लेने में भी मदद करती है

नींद लाने के आयुर्वेदिक उपाय और दवाएं

अगर बाजार में आप घूमने जाए तो बहुत तो आयुर्वैदिक सप्लीमेंट और दवाई मिल जाएंगे जो नींद लाने के लिए बनाई गई है हालांकि इन सप्लीमेंट के क्वालिटी इफेक्टिव होने की सच्चाई का तो प्रमाण नहीं है हालांकि कुछ प्रमाण के कार्य करने के विषय में जरूर बताते हैं

कैसे बिना गोलियों की अच्छी नींद ली जा सकती

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी एक बहुत ही एक्टिव तरीका है स्लीप क्वालिटी को बढ़ाने पर इन सुनो मियां को दूर करने का बिहेवियरल बदलाव अक्सर नींद गुणवत्ता में सुधार करते हैं बिना दवाई के उपयोग के

  • सोने से पहले बहुत ज्यादा खाना और शराब सेवन ना करें
  • कैफीन दूर करें जैसे कॉफी सोडा चॉकलेट खाकर सोने से पहले धूम्रपान बंद कर दे
  • सोने से पहले मधुर संगीत या किताब या मेडिटेशन
  • सोने से 30 मिनट पहले टीवी मोबाइल बंद कर दें
  • दिन में शारीरिक हरकत में अवश्य रहे
  • एजी स्लिप शेड्यूल पर टिके रहो
  • सोने से पहले कमरे में थोड़ा अंधेरा करें

Hindiram के कुछ शब्द

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