लेबर (प्रसव) की शुरुआत कब और कैसे होती है | प्रसव के शुरूआती लक्षण | labour symptoms in hindi

बहुत ही गर्भवती महिलाएं जो पहली बार गर्भवती हुई है लेबर कैसे होता है? कितनी देर रहता है? कैसे जाने की लेबर की शुरूआत हो गई हैं यह सब जानने के लिए बेताब रहती है…

सभी शिशुओं का जन्म अलग होता है प्रेगनेंसी भी अलग होती हैं इसलिए इन सभी प्रश्नों के उत्तर जान पाना कठीन होता है। लेकिन अगर ये पता रहे लेबर के समय क्या देखना चाहिए तो आप आसानी से जान सकती हैं अब शिशु से मिलने का समय आ चुका है…

Here’s quick summary 

  • तेज और तीव्र कॉन्ट्रक्शन होना
  • खून आना
  • पेट और पीठ दर्द
  • पानी की थैली फूटना

अन्य संकेत जो लेबर नजदीक होने का संकेत देता…. 

  • बेबी ड्रॉप (शिशु का नीचे खिसकना)
  • सर्विक्स डाईलेशन (योनि खुलना)
  • ऐठन और पीठ में दर्द
  • जोड़ों का लचीला बनाना
  • डायरिया
  • वजन बढ़ोतरी रुकना
  • थकान और नेस्टिंग इंस्टिंक्ट

प्रसव (लेबर) क्या है? डिलीवरी कैसे होती है | labour pain in hindi 

Labour-symptoms-in-hindi

लेबर शिशु जन्म की एक प्रक्रिया है जो गर्भाशय के संकुचन (utrin contraction) और सर्विक्स के डाईलेशन से शुरू होती और शिशु जन्म के साथ खत्म होती है।

जैसे-जैसे गर्भवती ड्यू डेट के करीब पहुंचती है बहुत से शारीरिक संकेत मिलने लगते हैं जो बताता है कि लेबर आने वाला है। अर्ली लेबर संकेत दिखने के बाद महिला एक्टिव लेबर में प्रवेश करती है जहां शिशु का जन्म होता है

 

लेबर (प्रसव) के संकेत | sign of labour

अगर आप जानना चाहती हैं आप लेबर में हैं या नहीं तो इन संकेतों को देखे, लेबर का सटीक पता लगाने के लिए बेहतर होगा आप डॉक्टर से परामर्श करें…

स्ट्रांग और फ्रिक्वेंट कांट्रेक्शन

अगर आपको पता नहीं कहीं सच में तो आप लेबर कांट्रेक्शन महसूस नहीं कर रही हैं अथवा नकली लेबर कांट्रेक्शन (बॉक्सटन हाइकस् कांट्रेक्शन) महसूस कर रही हो, आप अपने दर्द की तीव्रता, मजबूती और दर्द होने वाली जगह करें, अगर अभी भी आप निश्चिंत नहीं तो ये कुछ सवाल खुद से पूछे

क्या कांट्रेक्शन एक निश्चित समय अंतराल बाद हो रहा है असल लेबर कांट्रेक्शन के बीच एक निश्चित समय का अंतराल होता है समय बढ़ने के साथ ये जल्दी और तीव्र भी हों जाते हैं

कांट्रेक्शन कितने समय तक रहता है? असल लेबर कांट्रेक्शन 30 से 70 सेकंड का होता है

कांट्रेक्शन की तीव्रता कैसी है? लेबर कांट्रेक्शन समय के साथ और अधिक तीव्र होता जाता हैं तथा पोजिशन बदलने पर भी नहीं रुकता, प्रसव (लेबर) के दौरान न आप चल सकेंगी और न बात कर सकेंगी

खून का दिखना (शो) – bloody show

योनि से निकलने वाला श्लेमा जो ढककन के समान गर्भाशय को सुरक्षित रखें हुए था जिससे कोई भी बाहरी जीवाणु गर्भाशय के अन्दर प्रवेश न कर सकें, वह भी प्रसव के आने से हटने लगता है

इस समय महिला योनि स्राव महसूस करेंगी, श्लेमा, यह शायद एक बड़े हिस्से के रूप में बाहर आए अथवा छोटे छोटे टुकड़ों के रूप में भी निकल सकता है जिसे आप देख रही होंगी अथवा इसके स्त्राव को महसूस भी न कर पाएं

लेबर (प्रसव) के आखिरी दिनों में महिला गाढ़े तथा बढ़े हुए वेजाइनल डिसचार्ज को महसूस करेंगी, इसी गाढ़े गुलाबी रंग के डिस्चार्ज को ही “bloody show” कहा जाता हैं जो संकेत देता है कि लेबर आने वाला हैं

 

पेट और पीठ में दर्द

यदि महिला मासिक धर्म चक्र के समान तेज ऐठन, अपसेट स्टमक, लोअर एब्डोमिनल प्रेशर महसूस कर रहीं हैं पीठ दर्द जो पैरों तक महसूस होता हो तथा ये दर्द पोजिशन बदलने पर भी नहीं जा रहा, ये एक संकेत हैं कि लेबर बहुत नजदीक है

पानी की थैली फूटना (वॉटर ब्रेकिंग) – water braking

बहुत सी महिलाओं को लगता हैं जब “पानी की थैली” फूट जाती है तब लेबर की शुरूआत होती हैं। लेकिन एमनीओटिक फ्लूइड (जो गर्भ में शिशु को घेरे रहता हैं) लीक होना बहुत पहले या देर से होता हैं और इसे आप पूरे एक बार में ही नहीं लूज करेंगी

बहुत-सी महिलाओं के लिए “पानी की थैली फूटना” हि लेबर का अंतिम संकेत रहता है जो लगभग 15% या इससे कम के बर्थ में होता हैं शायद इसलिए आपको इसे लेबर का निश्चित संकेत नहीं समझना चाहिए

प्रसव के शुरूआती लक्षण – pre-labour symptoms in hindi

लेबर के इन शुरुआती लक्षणों को देखें, प्री-लेबर जो एक्टिव लेबर शुरू होने से पहले (घंटों, सप्ताहों या महीनों) पहले होते हैं

बच्चे का घूमना

अगर पहली बार आप मां बनी है तो बच्चे का घूमना या शिशु का पेल्विस पर आना लेबर के शुरूआत से पहले महसूस करेंगी (अधिकांश दो से चार सप्ताह पहले), लेकिन यह निर्भर करता है!

कुछ शिशुओं के जन्म में लाइटनिंग (शिशु का बर्थ पोजिशन में आना) तब तक नहीं होता जब तक गर्भवती लेबर में न हो, शिशु खुद को बाहर लाने के लिए पोजिशन में आ रहा होता है (सिर नीचे पांव ऊपर या ब्रीच पोजीशन में)

आप खुद को हिलाते डुलाते चल रही होंगी तथा पहली तिमाही की तरह फ्रिक्वेंट यूरिनेशन की समस्या से परेशान होंगी, क्योंकि शिशु का सिर ब्लैडर पर प्रेशर डाल रहा होता है। अच्छी बात ये है शिशु के नीचे आने से अब गर्भवती अच्छे से सांस लेने लगती हैं क्योंकि शिशु डाईफ्राम से नीचे आ गया होता है।

सर्विक्स का डाईलेट होना 

महिला की सर्विक्स भी खुद को जन्म के लिए तैयार कर रही होती है ये खुद को डाईलेट (ओपन) और इफेस (पतला) पतला करने में लगा होता है डिलीवरी से पहले डॉक्टर सर्विक्स में डाईलेशन और एफेसमेंट को चेक करेंगे

हालांकि, सभी महिलाओं में सर्विक्स डाईलेशन और एफेसमेंट अलग-अलग समय पर होता है इसलिए चिंता ना करें अगर आपमें ये धीरे-धीरे हो रहा है

तीव्र ऐठन और पीठ दर्द

जैस जैसे लेबर नजदीक आने लगता हैं गर्भवति पेट मे ऐठन और लोवर बैक में पेन महसूस करने लगती हैं खासकर अगर ये आपकी पहली प्रेगनेंसी नहीं होगी तो शिशु के जन्म से पहले आपके मसल्स और जॉइंट्स स्ट्रेच और शिफ्ट होते हैं

जॉइंट्स का ढीला पड़ना

पूरे गर्भावस्था के दौरान प्रेगनेंसी हारमोंस रिलैक्सीन आपके जॉइंट्स को ढीला बना देता हैं यहीं प्रेगनेंसी में आपके लचीले होने का एक कारण है

इससे पहले कि महिला लेबर में जाएं, गर्भवती अपने जोड़ों (जॉइंट्स) में हल्की मजबूती महसूस करती हैं वैसे ये सब होना प्रकृति का ही एक तरीका है शिशु को बाहर की दुनिया में लाने का

डायरिया

जिस प्रकार गर्भाशय के मसल्स खुद को जन्म के लिए तैयार (रिलैक्स) कर रहे होते हैं उसी प्रकार शरीर के अन्य मसल्स भी खुद को रिलैक्स कर रहे होते है जैसे कि रेक्टम में, इसी के कारण गर्भवतियों को प्रि-लेबर डायरिया की शिकायत होती हैं भले सुविधाजनक न हों मगर यह पूरी तरह नॉर्मल है बस खुद को हाइड्रेट रखें…

 

वजन बढ़ाना बंद होना

प्रेगनेंसी के आखरी समय (प्रसव के दौरान) गर्भवतियों में वजन बढ़ना बंद हो जाता है तथा कुछ गर्भवतियां तो अपना वजन भी लूज करती है

यह पूरी तरह सामान्य है तथा शिशु पर इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं डालता, हालांकि, शिशु अभी भी वजन बढ़ा रहा होता है लेकिन एमनीओटिक फ्लूइड कम होने की वजह से आपका वजन घट सकता है

थकान और नेस्टिंग इंस्टिंक्ट

प्रेग्नेंसी के समय आप महसूस कर रही होंगी जैसे आप पहली तिमाही में आ गई हो, पहली तिमाही की तरह थकान और बार बार पेशाब की समस्या!

बढ़ा हुआ पेट और ब्लैडर में दबाव तथा दूसरे अंगों के कारण एक अच्छी नींद लेने में भी दिक्कते आ रही होती हैं इसलिए खुद को आराम देने का हर संभव प्रयास करें

कैसे जाने की आप लेबर में जा रही हैं???

अगर अभी भी आपको नहीं पता कब आपका लेबर होने वाला है, ज्यादा चिंता ना करें, आपको अपने डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए जिससे वे सही समय आने का पता बता सके

शायद जब आप अपने ड्यू डेट के नजदीक पहुचेंगी, डॉक्टर आपको पहले ही सुनिश्चित कर देंगे की लेबर की शुरूआत होने वाली है जब आप कॉन्ट्रेक्शन भी महसूस कर रहीं हो,

असल लेबर कांट्रेक्शन के बीच में एक निश्चित समय का अंतराल नहीं होता है लेकिन अगर ये लगातार हो रहा हैं दर्द भरा और लंबे समय तक (30 से 70 सेकंड) बेहतर होगा डॉक्टर से परामर्श लें, अगर आपको लगे आप लेबर में जा रही है लेकिन पूरी तरह निश्चित ना हो तो डॉक्टर की सलाह लेना ही ज्यादा बेहतर होगा

डॉक्टर से तुरन्त सलाह लें जब –

  • ब्लीडिंग या ब्राइट रेड डिस्चार्ज हो
  • पानी की थैली फूट जाए
  • गर्भवती को धुंधला या डबल दिखाई दे, सिर में दर्द, सूजन का होना प्रिकोलेप्सिया के संकेत हो सकते है जिसमें मेडिकल देख रेख की जरूरत होती है।

प्रिटर्म लेबर क्या हैं – what is pre-term labour

प्रेग्नेंसीयों में (लगभग 90%) शिशुओं का जन्म 37 सप्ताह तक हो जाता है प्रिटर्म लेबर में शिशुओं का जन्म 37 सप्ताह से पहले हो जाता है

क्या लेबर में होने पर भी मुझे नहीं पता

सभी लेबर, प्रेगनेंसी एक समान नहीं होती, बहुत सी महिलाओं के लिए लेबर निर्धारित किए गए समय पर होता है माताओं को होने वाले कांट्रेक्शन इसमें सर्वाधिक मददगार होते हैं कि कब उन्हें हॉस्पिटल को जाना चाहिए

क्या लेबर आने पर इसका पता चल जाता है? यहां कांट्रेक्शन ही आपको बताएगा कि आपको क्या करना है लेकिन अगर अभी भी आप अनिश्चित है तो डॉक्टर से परामर्श लेना ही बेहतर होगा…

लेबर नहीं आ रहा! प्राकृतिक तरीकों से लेबर कैसे लाएं???

फुल टर्म होने के बावजूद अगर आपमें लेबर की शुरूआत नहीं हुई है तो कुछ तरीके हैं जिससे नेचुरली लेबर लाया जा सकता हैं कुछ तरीक़े तो आप घर पर भी कर सकती हैं जैसे – चलना, संभोग करना, स्पाइसी फूड और एक्यूपंचर

हालांकि, इन उपायों के प्रमाणित होने का कोई पुष्टि नहीं है इसलिए बेहतर यही होगा ऐसे कुछ भी उपाय अपनाने से पहले आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, क्यूकी, चाहे जो हो जाए, समय आने पर शिशु बाहर की दुनिया में कदम जरूर रखेगा… इसलिए अभी इस समय का आनंद लें

Hindiram के कुछ शब्द

प्रसव के लक्षण (Labour symptom in hindi) शिशुओं का जन्म हमेशा निर्धारित किए गए समय पर नहीं होता, बहुत से शिशुओं का जन्म तो 37 सप्ताह तक हो भी जाता हैं, मगर यदि आप जानना चाहें की आपमें लेबर की शुरूआत हो रही है या नहीं तो लेबर के संकेतों से इसका पता कर सकते है

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